महासमुंद से सांसद रहे हैं “क्रांतिकारी मोहनलाल बागड़ी का बलिदान सावरकर से कम नहीं …” बेटे अजय बागड़ी ने मोदी, शाह, नड्डा को लिखा पत्र

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के संकल्प पत्र में विनायक दामोदर सावरकर को भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान “भारतरत्न” दिए जाने के वादे पर बहस शुरू हो गई है, इस मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियों में मतभेद रहा है । महाराष्ट्र में बीजेपी और उसकी सहयोगी शिवसेना सावरकर की देश भक्ति का गुणगान करती रही है, वे इसके लिए सावरकर को मिली कालापानी (अंडमान जेल ) की सजा का जिक्र करती हैं, वहीं सावरकर के आलोचक उनके द्वारा अंग्रेजों के सामने माफीनामा लिखने को लेकर उनकी आलोचना करते हैं ।

स्वतंत्रता सेनानी और विदर्भ क्षेत्र में 1942 में हिन्दुस्तानी लालसेना के जरिए अंग्रेजों विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह कर देशद्रोह के आरोप में तीन आजन्म करावास की सजा पाने वाले क्रांतिकारी मगनलाल बागड़ी के परिवार ने सिर्फ सावरकर को ही महान सेनानी मानते हुए भारतरत्न दिए जाने पर सवाल उठते हुए कहा है कि भाजपा सिर्फ सावरकर को ही सम्मानित करने की बात क्यों कर  रही है, जबकि महाराष्ट्र में ही सावरकर के समान क्रांतिकारी हैं, जिनका बलिदान सावरकर से कम नहीं है, कहीं इसके पीछे ब्राह्मणवादी राजनीति तो नहीं है, उनका कहना है की क्रान्तिकारियों को सम्मान दिया जाये पर उन्हें जाति और प्रान्त के दायरे में न बाँधा जाए ।

क्रांतिवीर मगन लाल बागड़ी (क्रांतिकारी बागड़ी जी 1952 लोकसभा में छत्तीसगढ़ के महासमुंद से सांसद रहे हैं) :

महवपूर्ण तथ्य यह है कि 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ खुली बगावत करने का सही अर्थों में सौभाग्य हिन्दुस्तानी लाल सेना को ही प्राप्त हुआ । इस देश में ब्रिटिश ताज और साम्राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने के मुकदमें केवल तीन बार ही चले हैं, पहली बार क्रन्तिकारी सावरकर पर, दूसरा भगत सिंह और उनके साथियों पर तथा तीसरा लालसेना के कमांडर क्रांतिवीर मगनलाल बागड़ी और उनके साथियों पर । श्री बागड़ी को विभिन्न आरोपों में तीन बार आजन्म कारावास की सजा सुनाई गई थीं, यह सजायें साथ साथ चलनी थी जिसकी कुल अवधि 86 साल थी ।

क्रान्तिकारी मगनलाल बागड़ी के बेटे, नागपुर निवासी अजय कुमार बागड़ी ने इस सम्बन्ध में एक पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा को लिखा है । पत्र में कहा गया है कि –  महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में जाहिर किया कि वे सावरकर जी को भारतरत्न से सम्मानित करेंगें । श्री सावरकर को भारतरत्न क्यों ? क्या वे एक महान क्रन्तिकारी थे या और कोई कारण, इसका स्पष्ट उल्लेख कहीं नहीं है । अगर आप या आपकी पार्टी एक क्रांतिकारी को सम्मानित करना चाहती है तो एक क्रांतिकारी परिवार को इससे ज्यादा ख़ुशी और क्या होगी, जो कार्य कांग्रेस ने 70 साल में नहीं किया वह आप व आपकी पार्टी कर रही है, इससे बड़ी ख़ुशी और क्या होगी ? पर सवाल उठता है कि अगर एक क्रान्तिकारी को सम्मानित किया जा रहा है, तो दूसरे क्रांतिकारी जो सावरकर से कम नहीं उनका सम्मान क्यों नहीं, जबकि दूसरे क्रांतिकारी उसी जिले के हैं जिस जिले के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडनवीस जी हैं, क्या श्री फडनवीस जी इतने अज्ञानी है कि उन्हें मालूम नहीं कि उनके शहर में भी एक ऐसा क्रांतिकारी है जिसने देश को नौ शहीद दिए व खुद तीन आजन्म करावास की सजा प्राप्त की । वह शख्स है नागपुर के मगनलाल बागड़ी जिन्होंने एक सशस्त्र सेना “हिन्दुस्तानी लाल सेना” का निर्माण किया और उनका सम्बन्ध नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, जयप्रकाश नारायण एवं डॉ. लोहिया जैसे क्रांतिकारियों से रहा ।उनका इतिहास तो बहुत बड़ा है जो यहाँ लिखना सम्भव नहीं है ।

श्री सावरकर पर जो राजद्रोह की धारा अंग्रेजों ने लगाई थी वही धारा यानी “ब्रिटिश राज्य के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह”  की श्री मगनलाल बागड़ी और उनकी हिन्दुस्तानी लाल सेना पर भी लगी थीं । फिर सावरकरजी का ही सम्मान क्यों ? यह प्रश्न उठना लाजमी हैं, क्या यहाँ भी जातिवाद का बोलबाला तो नहीं ?

मुख्यमंत्री फडनवीस जी ब्राहमण हैं और श्री सावरकर जी भी ब्राहमण हैं । श्री सावरकार जी की विचारधारा राष्ट्रवाद थी तो श्री मगनलाल  बागड़ी जी की भी विचारधारा भी राष्ट्रवादी ही थी । श्री सावरकर ने तो एक आजन्म कारावास की सजा पायी थी पर श्री बागड़ी को  तीन आजन्म कारावास की सजा मिली थी । वैसे हमने देश भर के महान क्रांतिकारियों को जात और सूबों में बाँट दिया है सुभाष चन्द्र बोस बंगाल के, भगतसिंग पंजाब के तो सवारकर को महाराष्ट्र का बना दिया है, आपसे निवेदन है कि आप क्रन्तिकारियों को जात और प्रान्त में ना बाँटें, उन्हें देश भक्त और क्रांतिकारियों के रूप में सम्मान दें, उनमें तेरा मेरा न करें । आप ऐसा कोई काम न करें जिससे यह सन्देश जाए कि अगर आपके कार्य के पीछे जाति होगी तभी आपके काम को महत्व मिलेगा अन्यथा नहीं ….!

यहाँ यह बताना जरूरी है कि क्रांतिकारी मगनलाल बागड़ी, 1952 में छत्तीसगढ़ के महासमुंद से काँग्रेस के सांसद रहे हैं ।

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