“गंगा जमुना तो है पहले से प्रदूषित, गंगा जमुनी तहजीब को तो रहने दो सुरक्षित” कौमी एकता विषय पर वक्ता मंच की काव्य गोष्ठी सम्पन्न

Spread the love

रायपुर : प्रदेश की प्रतिष्ठित सामाजिक संस्था वक्ता मंच द्वारा आज 19 जनवरी को फजले अब्बास सैफी के काठाड़ीह स्थित फार्म हाउस में कौमी एकता विषय पर काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई । इसमें उर्दू, हिंदी एवं छत्तीसगढ़ी तीनो भाषाओं के कवियों ने अपनी कविताये सुनाकर मानवीय संवेदनाओं, देश की वर्तमान परिस्थितियों, राजनीतिक विद्रूपताओं एवं समसामयिक मुद्दों को गहराई से छुआ ।

इस अवसर पर वक्ता मंच के अध्यक्ष राजेश पराते ने घोषणा की कि उनकी संस्था द्वारा पूरे प्रदेश में “कौमी एकता” विषय पर काव्य गोष्ठियों का आयोजन रखा जायेगा । गोष्ठी की अध्यक्षता सैयद नासिर अली “नासिर “ने की । काव्य गोष्ठी में फैजल अब्बास सैफी की इन पंक्तियों ने वाहवाही लूटी :
कांटो भरी है तेरी डगर कौमी एकता
बदली न तूने राह मगर कौमी एकता,
श्रद्धा से शीश अपना झुकाने को मन करा
आई जहाँ भी नजर मुझको कौमी एकता ।

वरिष्ठ कवि सुनील पांडे की यह कविता सबने पसंद की :
गंगा जमुना तो पहले से है प्रदूषित
गंगा जमुनी तहजीब को तो रहने दो सुरक्षित ।

गोष्ठी का संचालन करते हुए सुखनवर हुसैन सुखनवर ने कहा :
भाईचारा का तो ये मतलब न होना चाहिये,
हम उन्हें भाई समझे और वो हमें चारा !
ऐसा भी नही होना चाहिए ।
उनकी इन पंक्तियो ने भी बहुत तालियां बटोरी :
अंदर है जैसा वैसा ही बाहर लगा मुझे,
वो आदमी खुलूस का पैकर लगा मुझे
माँ मेरे पास रहने को आई है गांव से,
मुद्दत के बाद अपना मकां, घर लगा मुझे ।

इस अवसर पर काविश हैदरी की यह पंक्तियां भी चर्चा में रही :
एक जैसा सदा आचरण चाहिए
जो हो अंदर वही आवरण चाहिये,
राम जपने से ही राम मिलते नहीं,
पहले हनुमान सा आचरण चाहिये ।

जावेद नदीम नागपुरी ने अपनी भावनाएं इस प्रकार
व्यक्त की :
बरगद की घनी छांव का मंजर नही बदला,
गांव की मुहब्बत ने अभी घर नही बदला ।
इस मुल्क में अब भी वही मंजर है जुनून का,
बस हाथ बदलते रहे खंजर नही बदला ।

सैयद नासिर अली नासिर ने एकता पर अपनी बात रखी :
इंसानियत की राह पे लाती है एकता,
धर्मो के भेदभाव मिटाती है एकता ।

मो हुसैन मज़ाहिर की कविता इस प्रकार रही :
जिसे ढूंढने चला था मैं वो कही मुझे मिला नही,
वो राम है कि रहमान है इस बात का भी गिला नही ।

लोकनाथ साहू आलोक की इन पंक्तियों ने सबको उद्वेलित कर दिया :
कलम ने कई फैसले बदले है मुल्क के,
खफा हो निजाम से,मगर खंजर की बात मत कर ।

काव्य गोष्ठी में चेतन भारती, राजेश पराते, श्रीमती शोभा शर्मा, डॉ इंद्रदेव यदु, दुष्यंत साहू, सैयद नासिर अली नासिर, काविश हैदरी, जावेद नदीम, रामेश्वर शर्मा, फजले अब्बास सैफी, यूसुफ अशरफी, सुखनवर हुसैन, सुनील पांडे, मज़ाहिर हुसैन, लोकनाथ साहू सहित अनेक कविताओं ने अपनी कविताये पढ़ी ।

वक्ता मंच के संयोजक शुभम साहू द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किये जाने के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ । कार्यक्रम के बेहतरीन संयोजन हेतु मंच की महिला प्रभारी धनेश्वरी नारंग के प्रयासों की सबने सराहना की ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *