नई दिल्ली, 01 मई 2021, 16.15 hrs : कोरोना वैक्सीन, रूस की स्पुतनिक वैक्सीन आज भारत में आ गई । स्पुतनिक वैक्सीन के भारत आने से तीसरे चरण के वैक्सीनेशन में तेजी देखने को मिलेगी ।
भारत में 18 से 44 साल के लोगों के लिए तीसरे चरण का वैक्सीनेशन आज से शुरू हुआ है । तीसरे चरण के लिए भारी संख्या में लोगों ने अपना पंजीकरण करवाया है।
स्पुतनिक-वी वैक्सीन को गमालेया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी की ओर से विकसित की गई है । टीकाकरण अभियान में आएगी तेजी कई विशेषज्ञों ने उम्मीद भी जताया है कि इस वैक्सीन के आने से तीसरे चरण के टीकाकरण अभियान में तेजी आएगी साथ ही भारत को कोरोना महामारी की दूसरी लहर से बाहर निकलने में मदद मिल सकती है ।
हाल ही में केंद्र सरकार ने रूसी कोविड वैक्सीन स्पुतनिक-वी के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी है । ऐसा माना जा रहा है कि स्पुतनिक-वी वैक्सीन के भारत आने से कोरोना के खिलाफ जंग में भारत को काफी मदद मिलेगी । भारत अभी कोरोना संक्रमण के खिलाफ दो टीके कोविशील्ड और कोवैक्सिन के साथ लड़ाई लड़ रहा है । इस वैक्सीन को सेफ और इफेक्टिव बताया गया। दरअसल कोविड-19 के रूसी टीके ‘स्पूतनिक-वी के तीसरे चरण के परीक्षण में यह 91.6 प्रतिशत प्रभावी साबित हुई है और कोई दुष्प्रभाव भी नजर नहीं आया ।
‘द लांसेट’ जर्नल में प्रकाशित आंकड़ों के अंतरिम विश्लेषण में यह दावा किया गया है। अध्ययन के ये नतीजे करीब 20,000 प्रतिभागियों से एकत्र किए गए आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित हैं।
भारत ने दी है आपात इस्तेमाल की मंजूरी इसके दो महीने बाद अप्रैल महीने में भारत में रूसी कोरोना टीके ‘स्पूतनिक वी’ के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी गई । भारत के केंद्रीय औषधि प्राधिकरण की एक विशेषज्ञ समिति ने देश में कुछ शर्तों के साथ रूसी कोरोना टीके ‘स्पूतनिक वी’ के आपात इस्तेमाल को मंजूरी देने की सिफारिश की थी, जिस पर भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने अपनी मुहर लगाई ।
कंपनी ने इसकी कीमत को लेकर कहा है कि भारत में स्पूतनिक v के एक डोज के लिए अधिकतम 10 डॉलर (करीब 750 रुपए) खर्च करने होंगे । हालांकि, स्पूतनिक वैक्सीन की आधिकारिक कीमत का ऐलान नहीं हुआ है । फिलहाल, भारत में जो दो वैक्सीन है, उसे केंद्र सरकार 250 रुपए में खरीदती है । रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-वी की ग्लोबल रीच बहुत ही ज्यादा हो सकती है, क्योंकि स्पूतनिक-वी की आपूर्ति के लिए 60 से अधिक देशों ने कॉन्ट्रैक्ट साइन किए हैं ।