छत्तीसगढ़ में डोंगरगढ़ की माँ बमलेश्वरी, रतनपुर बिलासपुर की देवीमहामाया और दंतेवाड़ा की दंतेश्वरी माता मंदिर में आज श्रद्धालुओं ने देवी के दर्शन किए ।
छत्तीसगढ़ी की तीन देवियां मुख्य हैं – बमलेश्वरी देवी, महामाया देवी और दंतेश्वरी देवी । तीनों जगह आज बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच कर माँ के दर्शन कर रहे हैं और मनोकामना मनाने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं |
रायपुर में भी पुरानी बस्ती में महामाया का मंदिर, आकाशवाणी चौक की काली मंदिर, गुढ़ियारी की खेरमाई देवी के अलावा पूरे रायपुर में सैकड़ों की तादाद में स्थापित दुर्गा प्रतिमा के पंडालों में पूरे नौ द8न हवन, पूजा-अर्चना की जा रही है ।
कल दुर्गा नवमी है । विसर्जन का काम प्रारंभ हो चुका है । दशहरे में बुराई के प्रति अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है । छत्तीसगढ़ में दुर्गा पूजा का महत्व है और हर समाज के लोग हर्ष उल्लास से नवरात पूजन में जुटे हुए हैं ।
कोलकाता में, बंगालियों की मां दुर्गा की पूजा षष्टी तिथि से शुरू हो कर नवमी तक चलती है । बंगाली दुर्गा पूजा में मान्यता है कि देवी को 4चार दिनों के लिये उनके पति मायके जमे की सहमति देते हैं । इसीलिए, षष्ठी से बंगाल की विवाहित बेटियाँ अपने मायके चार दोनों के लिये आती हैं और खूब आनंद से अपने मायके में रहती हैं । फिर नवमी को “सिंदूर खेला” कर माँ दुर्गा को विदा किया जाता है । इसी “सिंदूर के खेल” के बाद बेटियाँ ससुराल विदा होती हैं ।
कोलकाता में भी बंगाली समाज द्वारा भव्य तरीके से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है । यहां पंडालों में षष्ठी को माँ दुर्गा को विराजित करते हैं । उसके बाद नवमी को उनका विसर्जन किया जाता है । मान्यता के अनुसार प्रति वर्ष देवी विभिन्न सवारियों पर मायके आती हैं और उनकी सवारी के अनुसार पूरे वर्ष में जनजीवन, मौसम, प्रकृति, व्यापार, सुख शांति पर असर पड़ना मन जाता है । इस बार देवी कलश पर सवार हो कर आईं हैं इसका अनुमान लगाया जा रहा है कि “कलश” को अस्थिररता से भी जोड़कर देखा जा सकता है, अर्थात “बिन पेंदी का लोटा” । इसलिये देश या विश्व मे अस्थिरता की सम्भावना बन रही है ।
सन्तोष मित्र स्कवायार दुर्गोत्सव समिति, कोलकाता ने इस बार माँ दुर्गा की मूर्ति सोने की बनवाई है जिसकी ऊँचाई 13 फीट है । इसमें 50 किलो सोना लगा है । देवी मूर्ति की कीमत लगभग 20 करोड़ रुपये है । समिति के अध्यक्ष प्रदीप घोष ने बताया है कि किसी ने भी कभी इस सोने की मूर्ति की कल्पना नहीं की थी । यह हमारी कनक की दुर्गा है जिसमें ऊपर से नीचे तक पीली धातु लगी हुई है ।
सोने की इस मूर्ति को बनाने के लिए पूजा समिति के किसी आयोजक ने पैसे नहीं दिए है । बल्कि इसके लिए कई ज्वैलर्स सामने आए जिन्होंने कहा कि वो इस मूर्ति के लिए सोना देंगे और मूर्ति के विसर्जन के बाद अपना सोना वापस ले लेंगे ।
संतोष मित्र पूजा आयोजकों ने वर्ष 2017 में भी माँ दुर्गा की मूर्ति को सोने की साड़ी पहनाई थी । 22 किलो सोने की साड़ी थी । पिछले साल देवी चाँदी के रथ पर सवार थीं । वैसे, भगवान गणेश, कार्तिकेय, मां लक्ष्मी और सरस्वती जी की मूर्ति सोने की नहीं है ।