हैरान करने वाले आये हरियाणा, जम्मू कष्मीर के चुनावी नतीजे …

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रायपुर, 09 अक्टूबर 2024, 8.10 hrs : 2024 के दो विधानसभा चुनाव में भाजपा ने फिर दी कांग्रेस को पटखनी । इन नतीजों ने सभी राजनीतकि विशेषज्ञों के अलावा राजनीति में ज़रा भी रुची रखने वालों को हैरान कर दिया ।

यह नीतेजे उसी तरह रहे जैसे 2023 के 3 राज्यों के चुनावी नतीजे थे । इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनने का सभी का दावा था । पर सभी दावों को झुठलाते हुए बीजेपी ने बहुत ही शानदार तरीके से जीत दर्ज की ।

देखा जाये तो पिछले कई दशकों से, कांग्रेस चुनावों में अपनी भागीदारी साबित नहीं कर पा रही है । एक कहावत है कि जंग और प्यार में सब कुछ चलता है । पर कांग्रेस में तो राहुल गांधी द्वारा संगठन की बागडोर संभालने के बाद अपनी तथाकथित छवि सुधारने के चक्कर में सब गड़बड़ घोटाला होता जा रहा है । ना तो कांग्रेस छवि सुधारने की कोशिश में कामयाब हा पा रही है और ना ही आम जनता में अपनी पकड़ और विश्वास कायम कर पा रही है । नतीजा ये हो रहा है कि कांग्रेस लगातार जीतती हुई बाजी हार रही है ।

दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी चुनाव में सारे साम, दाम दण्ड, भेद के साथ पूरी दमदारी से मैदान में उतरती है । इसीलिये, हरयाणा में अभी तक के चुनावी नतीजे जहां भाजपा पुर्ण बहुमत के साथ 48 सीट पर जीत चुकी है तो वहीं कांग्रेस को मात्र 37 सीटों पर संतोष करना पड़ रहा है ।

चुनाव के पहले सभी दलों में टिकट को लेकर आपसी ख़ीचतान ता होता ही रहता है । पर भाजपा के आपसी मनमुटाव कभी सामने नहीं आते । कांग्रेस तो किसी भी चुनाव की शुरूआत ही भारी तल्ख़ी से करती है । हरियाणा में जीती हुई बाज़ी का सबसे बड़ा कारण यही माना जा सकता है । कांग्रेस के दो नहीे तीन-तीन दावेदारों ने पूरा खेल उलट कर रख दिया । पूर्व मुख्मंत्री हूृड्डा तो शुरू से ही इस पद पर अपना अधिकार मान रहे थे । पर अचानक से सांसद शैलजा और सुरजेवाला ने भी अपना दावा मुख्यमंत्री पद के लिये ठोंक दिया ।
तीनों नेताओं की हरियाणा में अच्छी पकड़ और जनाधार है । तीनों अपनी ज़िद पर अड़े रहे । आलाकमान की समझाईश के बाद वैसे तो तीनों ने हाथ मिलाया, पर सब समझ रहे थे कि ये दिल का राम-भरत मिलन नहीं है । नतीजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा । जाट-दलित को कांग्रेस अपने खेमे में लाने के प्रयास में पूरी तरह विफल रहे ।

दरअसल, कांग्रेस का ‘हाथ’ 1970-80 के दशक से ही अपनी पकड़ खोता जा रहा है । ये अलग बात है कि इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी, फिर उनकी और राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस सत्ता में आती रही । किन्तु पार्टी धीरे-धीरे अपना जनाधार, किसी ना किसी कारण से खोती रही । इसी तरह 2004 में भी पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों जब पार्टी की कमान आई तब उत्साहित जनता ने कांग्रेस को दा साल तक सत्ता सौंपी । पर 2014 में में, जब से नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी पर अपनी पकड़ बनाई तब से कांग्रेस के लाख कोशिश के बावजूद पिछले 10 वर्षों में एक एक राज्य में सत्तानशीन जो रही है । कुछ राज्यों में तो भाजपा ने तीन तीन बार शासन कर कांग्रेस के सामने बड़ी समस्या खड़ी कर दी है ।
और अब तो कांग्रेस का अपना दिमाग, दिल और आंखें खोल कर, बड़ी शिद्दत के साथ मंथन करना होगा ।

अभी तो सामने महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेशों के चुनाव है । अब वो समय आ गया है जब कांग्रेस को अपने सभी कमज़ोर, चूके हुए, पुराने चेहरों से ध्यान हटाकर युवा, नये और मजबूत सदस्यों को पार्टी की कमान देना होगा । यह वो समय है जब भगवान कृष्ण की गीता के उपदेशों पर भी गहराई से मनन-चिंतन करना होगा । वर्ना भारतीय जना पार्टी को 2050 का दावा कहीं सही साबित ना हो जाये ।

हरियाण और जम्मू कष्मीर के नतीजे:
हरियाणा:           जम्मू कष्मीर:
भाजपा 48          भाजपा 29
कांग्रेस 37           कांग्रेस 49
इनेलो$ 02          पीडीपी 03
अन्य 03             अन्य 10

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