रायपुर दक्षिण उप चुनाव : प्रचार थमा… 13 को मतदान और नतीजे 23 नवंबर … चौकाने वाले हो सकते हैं नतीजे…

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रायपुर, 11 नवम्बर 2023, 17. 30 hrs : शाम 5 बजे रायपुर दक्षिण के चुनाव प्रचार पर लगी रोक । अब 13 नवम्बर को होने वाले हैं छत्तीसगढ़ के एकमात्र विधानसभा रायपुर दक्षिण में उपचुनाव । नतीजे 22 नवम्बर को आयेंगे ।

रायपुर दक्षिण विधानसभा चुनाव को इस तरह समझा जा सकता है ।दरअसल, रायपुर दक्षिण के विधायक एवं मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को 2024 के लोकसभा चुनाव में रायपुर संसदीय क्षेत्र से बीजेपी ने चुनाव लड़वाया था जिसे वे भारी बहुमत से जीते थे । उनकी विधानसभा सीट ख़ाली होने पर इस सीट पर 6 महीने बाद होने वाले उप चुनाव हो रहे हैं ।

इस सीट पर जहाँ बीजेपी ने 10 वर्ष के पूर्व महापौर और 2019 के सांसद, सुनील सोनी को टिकट दी है, वहीं कांग्रेस ने अपने युवा नेता और NSUI तथा YUVA कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा को मैदान में उतारा है । दोनों के बीच चुनावी भारी जंग जारी है ।

इस विधानसभा उपचुनाव में, भाजपा से, चुनावी मैदान के खिलाड़ी रहे 62 वर्षीय, सुनील सोनी अपने दम पर नहीं, बल्कि भाजपा की लहर की वजह से जीतते रहे हैं । सांसद बनने के बाद भी उनका, अपने क्षेत्र में कोई विशेष योगदान नहीं रहा है । कहा जा सकता है कि उनकी किस्मत हमेशा उन्हें जीत दिलाती रही है ।

दूसरी ओर कांग्रेस ने जब अपने युवा नेता आकाश शर्मा पर दाँव लगाया तो सारे हैरान रह गए । क्योंकि आकाश शर्मा को कांग्रेस सदस्यों के अलावा कोई भी, विशेष तौर पर नहीं जानता था । धीरे धीरे लोगों को यह समझ आने लगा कि आकाश, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के क़रीबी रहे, राजेश तिवारी का रिश्तेदार (दामाद) है । इसलिए प्रदेश के अन्य बड़े नेताओं की, टिकट वितरण में कुछ भी नहीं चली । पर टिकट मिलने के बाद, उनकी कुछ पहचान बनने लगी । साथ ही ब्राम्हण समाज ने भी पूरी ताकत झोंक दी है आकाश शर्मा के पक्ष में ।

वैसे देखा जाये तो रायपुर दक्षिण के प्रबल दावेदार थे, पूर्व महापौर प्रमोद दुबे, पर समझा जाये तो, आकाश शर्मा को टिकट दे कर कांग्रेस ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी ही मारी है ।

प्रमोद दुबे के अलावा, बहुत ही गहन चिंतन करने के बाद, एक और चौकाने वाला नाम, ब्राम्हण उम्मीदवार समझ में आता है और वो है, कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में एक, श्री सत्यनारायण शर्मा । उनका यह आख़री चुनाव भी हो सकता था और उनकी जीत भी तय होती । थोड़ा गहराई से सोचें तो बृजमोहन, सत्यनारायण शर्मा को जीतने में मदद कर सकते थे । खैर, छोड़िये, ज़रा गहरी बात हो जाएगी और कोई इससे सहमत नहीं होगा । पर कहते हैं ना, “प्यार में, जंग में सब जायजा है” । वहीं कांग्रेस चुनाव को कभी भी गम्भीरता से नहीं लेती और मुँह की खाती है ।

थोड़ा और गहराई से सोचिए । सुनील सोनी को बृजमोहन अग्रवाल का क़रीबी माना जा रहा है । पर क्या यह सच है ? जब तक बृजमोहन विधायक और सुनील सोनी सांसद थे, तब तक तो क़रीबी मानी जा सकती थी । पर सुनील सोनी के विधायक बनने के बाद क्या अगले विधानसभा चुनाव में वो बृजमोहन के लिये सीट छोड़ेंगे ? या क्या बृजमोहन पर बीजेपी, फ़िर विधायक के तौर पर बीजपी, फिर उन पर दाँव लगाएगी ?

अब जो भी नतीजा आयेगा वो चौकाने अवश्य होगा । जहां कांग्रेस, पहली बार एकजुटता दिखाते हुए आकाश के पक्ष में सड़कों पर उतरी है वहीं बीजेपी में सिर्फ़ बृजमोहन अग्रवाल ही अपनी साख बचाने के लिए पूरे समय सुनील सोनी के साथ दिखे । बीजेपी के अन्य नेता सिर्फ़ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है ।

अब 23 नवम्बर को आने वाले नतीजों का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा ।

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