सुप्रीम कोर्ट ने जनहित में लिया फैसला … अखिल भारतीय करदाताओं का संगठन बनाने के लिए एक समिति गठित होगी, जो दुनिया की सबसे बड़ी संस्था होगी..

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नई दिल्ली, 8 नवम्बर 2024, 7.15 hrs : जनहित में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है कि कोई भी सरकार अखिल भारतीय करदाताओं की संस्था की मंजूरी के बिना मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त वितरण या ऋण माफी की घोषणा नहीं कर सकती, चाहे कोई भी सरकार सत्ता में हो ।

चूंकि यह पैसा हमारे करदाताओं का है, इसलिए करदाताओं को इसके इस्तेमाल की निगरानी करने का अधिकार होना चाहिए ।

सभी राजनीतिक दल वोट के लिए मुफ्त चीजें बांटकर जनता को लुभाते रहते हैं । जो भी परियोजनाएं घोषित की जाती हैं, सरकार को सबसे पहले उनका खाका प्रस्तुत करना चाहिए और इस निकाय से अनुमोदन प्राप्त करना चाहिए । यह सांसदों और विधायकों के वेतन और उन्हें मिलने वाले अन्य गैर-विवेकाधीन लाभों पर भी लागू होना चाहिए । क्या लोकतंत्र केवल मतदान तक ही सीमित है ? उसके बाद करदाताओं के रूप में हमारे पास क्या अधिकार हैं ?

करदाताओं को सांसदों, विधायकों को जवाबदेह ठहराने और संसद के कामकाज में बाधा डालने के लिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का अधिकार होना चाहिए । उन्हें सभी “सेवकों” के बाद करदाताओं द्वारा भुगतान किया जाता है । ऐसी किसी भी “मुफ्त सुविधाओं” को वापस लेने का अधिकार भी जल्द ही लागू किया जाना चाहिए ।

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