SC के खिलाफ दिए बयान पर सोचने के लिए प्रशांत भूषण को दो दिन की मोहलत, अटॉर्नी जनरल की बेंच से अपील- सजा न दी जाए

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नई दिल्ली, 20 अगस्त 2020, 17.05 hrs : न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ उनके दो अपमानजनक ट्वीट को लेकर न्यायालय की अवमानना के लिये 14 अगस्त को दोषी ठहराया था ।

सुप्रीम कोर्ट में आज वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण द्वारा अदालत की अवमानना केस में सजा पर बहस हुई । कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अदालत की अवमानना से जुड़े बयान पर विचार करने के लिए दो दिन का वक्त दिया है । हालांकि, प्रशांत ने कोर्ट में ही कहा कि मुझे समय देना कोर्ट के समय की बर्बादी होगी, क्योंकि यह मुश्किल है कि मैं अपने बयान को बदल लूं ।

इस बीच अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल भी सुप्रीम कोर्ट से प्रशांत भूषण को सजा न देने की अपील की ।
प्रशांत भूषण ने सुनवाई के दौरान आज खुद कोर्ट में खड़े होकर कहा कि उन्हें अवमानना मामले में कोर्ट की तरफ से खुद को दोषी ठहराए जाने पर चोट पहुंची है । उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में खुली आलोचना संवैधानिक अनुशासन को स्थापित करने के लिए है । मेरे ट्वीट सिर्फ नागरिक के तौर पर अपनी सबसे बड़ी जिम्मेदारी को निभाने की छोटी कोशिश थे ।

प्रशांत भूषण ने अपने बयानों को लेकर कोर्ट से माफी मांगने से इनकार कर दिया है । हालांकि, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि कोर्ट को उन्हें अपने बयानों पर विचार के लिए कुछ समय देना चाहिए । इस पर जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हम मामले में तुरंत फैसला नहीं लेंगे । हम इस पर विचार करने के लिए प्रशांत भूषण को दो-तीन दिन का समय देंगे ।

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ उनके दो अपमानजनक ट्वीट को लेकर न्यायालय की अवमानना के लिये 14 अगस्त को दोषी ठहराया था । न्यायालय की अवमानना के इस मामले में अवमाननाकर्ता को अधिकतम छह महीने की साधारण कैद या दो हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है ।

भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए नेता उदित राज ने प्रशांत भूषण मामले में बयान दिया है । उन्होंने कहा, “मुझे गर्व है कि प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में माफ़ी नहीं मांगी । जज भगवान नहीं हैं । सच बोलना अवमानना नहीं है, जो सुप्रीम कोर्ट ने किया । हमने साथ खड़ा होने का वादा किया था । यह केवल शब्दों में नहीं था । परिसंघ ने SC में प्रशांत भूषण के पक्ष में प्रदर्शन करके साबित भी कर दिया ।”

‘आपने लक्ष्मण रेखा क्यों लांघी ?’ जब सजा पर बहस के दौरान प्रशांत भूषण से बोले जस्टिस मिश्रा :
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की सजा पर जब कोर्ट में सुनवाई चल रही थी, तब जस्टिस अरुण मिश्रा ने प्रशांत भूषण से कहा कि हर चीज की एक लक्ष्मण रेखा होती है, जो कि परंपराओं या तय नियमों पर आधारित है । उसे कभी नहीं तोड़ा जाना चाहिए। जस्टिस मिश्रा के नेतृत्व वाली बेंच ने प्रशांत भूषण को चेतावनी दी कि अगर आप अपने बयानों को संतुलित नहीं करते हैं, तो इससे आप संस्थान को तबाह कर रहे हैं और कोर्ट किसी अवमानना के लिए इतनी आसानी से सजा नहीं देता ।

अवमानना केस पर बोले प्रशांत – मुझे नहीं लगता कि समय मिलने से मेरा बयान बदलेगा : प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना केस की सुनवाई के दौरान अपने बयान के बारे में सोचने के लिए दो दिन का अतिरिक्त समय दिया है । हालांकि, जब कोर्ट में इस पर बात चल रही थी, तभी प्रशांत भूषण ने कहा था कि अगर लॉर्डशिप मुझे समय देना चाहते हैं, तो इसका स्वागत है। पर मुझे नहीं लगता कि इससे कुछ भी होगा । यह सिर्फ कोर्ट के समय की बर्बादी होगी। यह काफी मुश्किल है कि मैं अपने बयान को बदलूंगा ।

जस्टिस मिश्रा बोले – आपने जिस तरह के केस लड़े हम उससे प्रभावित : वकील राजीव धवन ने जब कोर्ट से प्रशांत भूषण के रिकॉर्ड के बारे में कहा तो जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हमें उनके रिकॉर्ड से पता चलता है कि उन्होंने जो भी केस लिए वो सब प्रभावित करने वाले हैं । पर आपने काफी कुछ अच्छा किया है, इसका यह मतलब यह नहीं कि कुछ गलत को इससे संतुलित किया जा सकता है । जस्टिस गवई ने कहा कि बार और बेंच के बीच हमेशा सम्मान बना रहना चाहिए ।

प्रशांत भूषण बोले – कोर्ट द्वारा खुद को दोषी ठहराए जाने से चोट पहुंची । मुझे कोर्ट की तरफ से खुद को दोषी ठहराए जाने पर चोट पहुंची है । दुख हुआ कि मुझे पूरी तरह से गलत समझा गया। मुझे झटका लगा है कि कोर्ट ने मुझे वो शिकायत तक नहीं बताई, जिस पर अवमानना माना गया । मुझे दुख है कि कोर्ट ने मेरी प्रतिक्रिया के तौर पर दाखिल एफिडेविट पर भी विचार नहीं किया । मुझे लगता है कि लोकतंत्र में खुली आलोचना संवैधानिक अनुशासन को स्थापित करने के लिए है । संवैधानिक अनुशासन की रक्षा किसी के निजी या पेशेवर हितों में नहीं होने चाहिए । मेरे ट्वीट सिर्फ नागरिक के तौर पर अपनी सबसे बड़ी जिम्मेदारी को निभाने की छोटी कोशिश थे ।

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