मरवाही उपचुनाव : किसके लिए कठिन है डगर पनघट की … ?

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पेंड्रा, 2 नवंबर 2020, 12.05 hrs : कल, 3 नवंबर को छत्तीसगढ़ की मरवाही और मध्यप्रदेश की 28 सीटों के उपचुनाव तथा बिहार के 94 सीटों पर दूसरे चरण के मतदान होने वाले हैं ।

छत्तीसगढ़ की मरवाही सीट के विधायक, प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद ख़ाली हुई इस सीट में होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस की साख दाँव पर है । यह सीट पिछले 20 सालों से जोगी, या जोगी काँग्रेस के खाते में ही रही है । अजित जोगी के निधन के बाद एक बार फ़िर लोग ये मान रहे थे कि इसबार के उपचुनाव में भी मरवाही सीट जोगी काँग्रेस को ही मिलेगी । उसका बड़ा कारण यह माना जा रहा था कि जोगी जी के निधन के बाद होने वाले उपचुनाव में सिम्पैथी के चलते, भले ही बहुत कम मतों से, पर जीत जोगी काँग्रेस की ही होगी ।

पर ‘होनी’ कुछ ऐसी चली कि जाति मामले में फंसे जोगी परिवार से कोई भी चुनाव लड़ने के काबिल नहीं रहा और तीसरा जोगी काँग्रेस के प्रत्याशी का नामांकन ही, ‘बी’ फॉर्म नहीं मिलने के कारण रद्द हो गया । इस तरह जोगी परिवार चुनावी प्रक्रिया से बाहर हो गया । तो, मरवाही की त्रिकोणी जंग अब सीधे काँग्रेस और बीजेपी की हो गई ।

इधर, चुनाव लड़ने में असफल, जोगी काँग्रेस ने बीजेपी के प्रत्याशी को समर्थन देने का मन बना लिया । इससे जोगी काँग्रेस में ही घमासान मचा गया और उनके दो गुट बन गये हैं । 5 विधायकों में से बचे 4 विधायकों में धर्मजीत सिंह और डॉ. रेणु जोगी बीजेपी को समर्थन देने और दो विधायक देवव्रत सिंह-प्रमोद शर्मा काँग्रेस का साथ दे रहे हैं ।

अब सबसे बड़ी बात यह है कि जोगी काँग्रेस पिछले सभी चुनावों में रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज कर रही थी । तो उनके कम से कम आधे या एक चौथाई मतदाता तो आज भी उनको समर्थन दे सकते हैं । दूसरी ओर बीजेपी का भी कुछ वोट बैंक मरवाही में है ही ।

पूर्व कांग्रेसी विधायक रामदयाल उइके, काँग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं । जिनके साथ पूरा बीजेपी अमला मरवाही में ताल ठोक रहा है । इसका चुनाव में कुछ असर तो पड़ेगा ही !

अब चुनौती काँग्रेस को ज़्यादा दिखाई दे रही है । ये अलग बात है कि अमित जोगी के व्यवहार से मरवाही की जनता असन्तुष्ट है जिसका फायदा काँग्रेस को मिलता दिख रहा है । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ पूरा मंत्रिमंडल, संगठन मिल कर दिनरात एक किये हुए हैं । फिर सत्तारूढ़ पार्टी का भी असर मतदाताओं पर पड़ता है । इसलिए, अभी तो यह लग ही रहा है कि यह सीट काँग्रेस के खाते में जा सकती है । पर अंतिम निर्णय तो 10 नवंबर को ही सामने आएगा ।

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