छ.ग. गृह निर्माण विभाग का कमाल, घटिया निर्माण के मकान के साथ गड्ढों में गुज़ारते हैं ज़िंदगी : लोग महंगे निजी सोसाइटी में मकान खरीदने मजबूर, सरकार को भारी आर्थिक नुकसान

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“मकान नहीं, घर बनाते हैं, पीढ़ी से पीढ़ियों तक रिश्ता निभाते हैं …”

 ये टैगलाइन है छ. ग. गृह निर्माण मण्डल का, पीढ़ी से पीढ़ियों तक रिश्ता निभाते हैं  !

रायपुर, 10 जुलाई 2020, 20.10 hrs : छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल का मकान खरीदने में लोग हिचकिचाते हैं । मंडल द्वारा बनाये गए मकानों की दुर्दशा चर्चित है ।

रायपुर में सबसे पहले शायद 70 के दशक में तत्कालीन मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल ने कुछ MIG, HIG, LIG मकान बनाये थे जिनकी मजबूती के कायल आज 50 साल बाद भी लोग हैं । किंतु आज ऐसा क्या हो गया कि अब छ. ग. गृह निर्माण मंडल के मकान भारी छूट देने के बाद भी बिक नहीं रहे हैं जिससे गृह निर्माण मंडल भारी आर्थिक हानि झेल रहा है ।

रायपुर तथा अन्य शहरों में भी छ. ग. गृह निर्माण मंडल ने स्वतंत्र बंगले और बहुमंज़िला फ्लैट का अपना जाल बिछा रखा है । दाम भी वाजिब हैं । फ़िर भी लोग इनके मकान खरीदने में हिचकते हैं । मण्डल द्वारा लोन ले कर मकान बनाने के बाद, अब स्थिति यह है कि मंडल पर ब्याज बढ़ता ही जा रहा है और आर्थिक बोझ भी बढ़ता जा रहा है । वहीं गृह निर्माण मण्डल के अधिकारी बड़ी लूट के साथ लाल हुए जा रहे हैं । अभी कुछ समय पहले ही कुछ अधिकारियों की, आर्थिक अनियमितता के चलते जाँच के बाद नौकरी तक चली गई और आज तक कोर्ट में केस चल रहे हैं ।

आज स्थिति यह है कि छ. ग. गृह निर्माण मंडल के मकान खरीदने के बाद, घटिया निर्माण क्वालिटी वाले इन मकानों की स्थिति यह है कि दीवारों पर हल्के से हाथ मारने से ही प्लास्टर गिर जाता है, बारिश में छत से पानी रिसने से शार्ट सर्किट होना और जान का खतरा बना रहता है, सामान के नुकसान साथ ही मकान, सड़क, नालियों के मेंटेनेन्स में हर साल बड़ा खर्च करने के बाद भी परेशानी कम नहीं होती ।

 

मकान के साथ साथ सड़कों की भी दुर्दशा देखी जा सकती है । कचना में गृह निर्माण मंडल ने 10/15 साल पहले HIG, MIG, LIG और EWS मकान बनाये थे, पत्रकारों के लिए । कुछ पत्रकारों ने इस कॉलोनी में अपने मकान किराये पर दे दिया है । अब इसी कॉलोनी से लगे हुए कुछ सुपर HIG मकान IAS, IPS के अलावा अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के लिए भी बनाए गए हैं ।

छ. ग. गृह निर्माण मंडल द्वारा निर्मित इन मकानों के फ़र्क़ कोई भी देख और महसूस कर सकता है । कॉलोनी में प्रवेश करते ही, बायीं ओर पत्रकारों के मकान और दाहिनी ओर हैं प्रशासनिक अधिकारियों के बंगले । दोनों के रखरखाव में फ़र्क़ स्पष्ट दिखता है ।

मकानों के अलावा सड़कों की स्थिति भी देखी जा सकती है । अधिकारियों के मकानों के गेट तक स्वच्छ, स्मूथ सड़कें और दूसरी ओर पत्रकारों की ऊबड़खाबड़, गड्ढों वाली खतरनाक सड़कें । और ये सड़कें, आज बारिश के बाद के बने गड्ढों की नहीं हैं । ये गड्ढे, 500 कदम में तो हैं ही साथ ही पूरे पत्रकार कॉलोनी में दिख जाएंगे । मैं खुद पिछले 8/10 सालों से अधिक समय से देख रही हूँ ।

नालियां सालों से साफ़ नहीं की गई हैं । बदबू और गंदगी से लोग दुखी हैं । उनके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है । कोरोना संक्रमण के इस दौर में senitization तो दूर, साफ़ सफाई कभी होती ही नहीं । सड़कों पर झाड़ू शायद कॉलोनी बनने के बाद से लगी ही नहीं है । बगीचे सिर्फ़ दिखावे के लिए हैं । यहीं पर बिजली विभाग का एक सब स्टेशन भी है । वहाँ भी यही स्थिति है ।

दिन और रात के अंधकार युक्त इन सड़कों पर दुर्घटना और जान का खतरा बना ही रहता है । यहाँ निवासरत लोग बताते हैं कि निर्माण मंडल के अधिकारियों के अलावा यहाँ के विधायक, पार्षद और तमाम सम्बंधित लोगों से शिकायत की जा चुकी है । पर कहीं कोई सुनवाई नहीं होती । सब आँखे मूंदे बैठे हैं । थक हार कर परिस्थितियों से समझौता करना हमारी मजबूरी हो गई है ।

ऐसे में कैसे लोग खरीदेंगे छ. ग. गृह निर्माण मंडल के मकान ? जबकि गृह निर्माण मण्डल, आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को निजी आवास मुहैया कराने के लिए बनाया गया था ।

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