CJI गोगई के रिटायमेंट के पहले सुप्रीम कोर्ट में बचे हुए 3 अहम फैसले में से आज 2 मामलों पर सुनवाई हुई

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सबरीमाला मंदिर और राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं को बड़ी पीठ भेजा, राफेल डील में सरकार को राहत …

नई दिल्ली : 17 नवंबर, 2019 को, CJI गोगई के रिटायमेंट के पहले सुप्रीम कोर्ट में बचे हुए 3 अहम फैसले में से आज 2 मामलों पर सुनवाई हुई । सबसे बड़ा मामला, सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के अपने फैसले पर उन्होंने पुनर्विचार के मामले को बड़ी बेंच को भेज दिया है ।

सबरीमाला मामला : इस मामले पर फैसला पढ़ते हुए कहा गया कि इस केस का असर सिर्फ इस मंदिर नहीं बल्कि मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा । अपने फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वोच्च सर्वमान्य नियमों के मुताबिक होनी चाहिए । मामले को, महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के तौर पर देखा जा रहा था । पहले भी कोर्ट ने फैसला देते हुए 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को लिंग आधारित भेदभाव माना था ।

जारी रहेगा महिलाओं का प्रवेश : पांच जजों की बेंच में से 3 जजों का मानना था कि इस मामले को सात जजों की बेंच को भेज दिया जाए । लेकिन जस्टिस नरीमन और जस्टिस चंद्रचूड़ ने इससे अलग विचार रखे । अंत में पांच जजों की बेंच ने 3:2 के फैसले इसे 7 जजों की बेंच को भेज दिया । हालांकि, सबरीमाला मंदिर में अभी महिलाओं का प्रवेश जारी रहेगा । जस्टिस नरीमन ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही अंतिम होता है । फैसला अनुपालन करना कोई विकल्प नहीं है । संवैधानिक मूल्यों की पूर्ति करना सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए ।

राफेल डील : साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आज मोदी सरकार को बड़ी राहत दी है । राफेल डील के खिलाफ लगाई गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दी । सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि राफेल डील में कोई गड़बड़ी नहीं हुई ।

उच्चतम न्यायालय ने 14 राफेल लड़ाकू विमान के सौदे को बरकरार रखते हुए 14 दिसंबर, 2018 के फैसले के खिलाफ दाखिल राफेल समीक्षा याचिकाओं को खारिज कर दिया ।

पिछले साल अदालत ने 59,000 करोड़ के राफेल सौदे में हुई कथित अनियमितताओं की अदालत की निगरानी में जांच वाली मांग को खारिज कर दिया था ।

सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील मामले में, पिछली 14 दिसंबर, 2018 को दिए फैसले में भारत की केंद्र सरकार को क्लीन चिट दी थी । हालांकि इस फैसले की समीक्षा के लिए अदालत में कई याचिकाएं दायर की गईं और 10 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था ।

राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज मानहानि मामला :
उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ दर्ज मानहानि मामले में फैसला सुनाते हुए उनकी माफी को स्वीकार कर लिया है । साथ में अदालत ने उन्हें नसीहत भी दी है । बता दें कि यह याचिका भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने उनके खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर की गई टिप्पणी चौकीदार चोर है मामले में दर्ज कराई है । उन्होंने इस अवमानना याचिका को सुप्रीम कोर्ट को जोड़कर दाखिल किया है । अदालत ने इसपर सुनवाई के बाद 10 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था । पूर्व की सुनवाई में अदालत ने राहुल गांधी की इस टिप्पणी को गलत ठहराया था । राहुल गांधी ने इस बयान को लेकर अदालत से इसे ‘गैर-इरादतन, गैर-इरादतन और अनजाने में दिया गया’ बताते हुए माफी भी मांगी थी ।

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