कैसे जीते हैं भला… निगम और प्रशासनिक अधिकारियों की कुम्भकर्णी नींद… शहर का नुकसान… रिटायर्ड-स्वर्गीय सेना अधिकारी परिवार भी लपेटे में…

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रायपुर, 11 सितंबर 2021, 12.05 hrs : विकास के नाम पर मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं शहरवासी । बरसता मुश्किल लाती है यह सब समझते हैं । पर वर्षों की अनदेखी अक्षम्य है । राजधानी के बड़े हिस्से के रहवासियों की पीड़ा असहनीय होती जा रही है ।

कचना हाउसिंग बोर्ड के इलाके के लोगों का जीवन, जर्जर सड़कों से मुहाल हो गया है ।  ये रोड विधानसभा भी जाति है । बड़ी-बड़ी कॉलोनियां भी है यहाँ । विधायक, बोर्ड, निगम के अधिकारियों, कलेक्टर सभी को इस विषय में शिकायत करने के बावजूद मामले पर कोई सुनवाई नहीं । अब लोग उस माहौल में ही जीने के आदी हो गए हैं ।

कचना के दो किलोमीटर क्षेत्र में ही लगभग 7 से 9 बड़े-बड़े तालाब हैं । इन तालाबों पर बड़े बिल्डरों की नज़र पड़ रही है और यहाँ बड़ी-बड़ी मल्टीस्टोरी बिल्डिंग की पकड़ बनती जा रही है । तालाबों का घेरा सिमटा जा रहा है । इस क्षेत्र का सौंदर्यीकरण करने के बजाय कारोबारियों से सांठगांठ चल रही है ।

3-4 साल पूर्व इसी कचना क्षेत्र से पुरातात्विक मूर्तियाँ भी मिल चुकी हैं । पुरातत्व विभाग ने इन मूर्तियों का क्या किया यह सस्पेंस बना हुआ है ?

सेना के एक रिटायर्ड, स्वर्गीय अधिकारी की रजिस्टर्ड, बड़ी ज़मीन को कुछ असामाजिक तत्वों ने घेर कर, मंदिर बनाकर कब्जा कर लिया है । पिछले लगभग 10/12 सालों से परिवार के लोग मंत्री, प्रशासनिक और निगम के अधिकारियों के चक्कर लगा लगा कर तक चुके हैं । पर कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है । देश की सेवा करने का फल भुगत रहा है परिवार ।

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