नहीं रहे विश्व प्रसिद्ध मिर्ज़ा मसूद…

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रायपुर, 19 जुलाई 2024, 10.50 hrs : आकाशवाणी के प्रसिद्ध उद्घोषक, रँगजगत में अपनी विशेष पहचान बनाने वाले, मधुर किंतु गम्भीर आवाज़ के धनी, मिर्ज़ा मसूद का निधन कल 18 जुलाई को इंदौर में हो गया । लंबे समय से बीमार चल रहे मिर्ज़ा मसूद ने 18 जुलाई की रात 3 बजे अंतिम सांसें ली। मिर्जा मसूद के परिवार के लोगों के साथ इंदौर में रह रहे थे । 82 साल की उम्र में उनका निधन हुआ है।

उनके निधन की खबर से कला जगत और पत्रकारिता जगत में शोक का माहौल है ।

छत्तीसगढ़ राज्य शासन का चक्रधर सम्मान और चिन्हारी सम्मान सहित दिल्ली के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एन.एस.डी) में भी विशेष सम्मान प्राप्त मिर्जा मसूद थेियेटर के लिए समर्पित रहे। कई नाटक लिखे और उनका निर्देशन भी किया।

मिर्ज़ा मसूद जन्म 3 अप्रैल को 1942 को हुआ था ।  बाल कलाकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले मिर्ज़ा मसूद ने स्कूल और कॉलेज में कई नाटक किए । सार्वजनिक मंचों पर अभिनय किया। हबीब तनवीर के निर्देशन में 1973 में रायपुर में आयोजित अखिल भारतीय नाच वर्कशॉप में भागीदारी रही ।

80 से अधिक नाटकों का निर्देश करने वाले मिर्ज़ा मसूद ने प्रसिद्ध नाटक अंधा युग, हरिश्चन्द्र की लड़ाई, गोदान, शहंशाह इडिपस , सैया भये कोतवाल, विक्रम सैन्धव, जायज़ हत्यारे, जैसे सैकड़ों नाटक का निर्देशन किया ।

मिर्ज़ा मसूद ने रायपुर सेंट्रल जेल में बंद कैदियों के लिए भी नाटक शिविर का आयोजन किया था । छत्तीसगढ़ी नाटक जइसन करनी तइसन भरनी और अंजोर छरियागे जैसे नाटक को जेल के बाहर भी कैदियों के द्वारा प्रस्तुत किया गया था ।

संपादक शोभा यादव को भी मिर्ज़ा मसूद जी ने अपनी नाट्य संस्था “अवन्तिका” के कई नाटकों में निर्देशित किया था । 

NSD दिल्ली के विस्तार कार्यक्रम के सहयोग से मिर्ज़ा मसूद ने छत्तीसगढ़ी नाटक “सियान गोठ” और हिंदी नाटक “जिंदगी कोलाज” का लेखन और निर्देशन भी किया था । 1857 की क्रांति की 150वीं जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ी नाटक “सुरता बलिदान के” का लेखन और निर्देशन के साथ उनका मंचन छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में किया ।

मिर्ज़ा मसूद ने लंबे समय तक इंटरनेशनल और हिंदी ब्रॉडकास्ट कमेंटेटर के रूप में भी काम किया । फर्स्ट एशिया कप हॉकी प्रतियोगिता पाकिस्तान, पंचम विश्व कप हॉकी प्रतियोगिता बम्बई, दिल्ली एशियाड 1982, चैंपियन ट्रॉफी कराची पाकिस्तान दक्षिण कोरिया सियोल ओलंपिक 1988 और राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में हिंदी कमेंटेटर की भूमिका निभाई ।

उन्होंने अवंतिका -रंग सर्जन का मंच, कौशल नाट्य अकादमी और रायपुर नट मंडल की स्थापना की और लगातार युवाओं को रंगमंच और अभिनय की बारीकियां सिखाई । 2019 में छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्हें कला और के क्षेत्र में योगदान के लिए चक्रधर सम्मान से सम्मानित किया था ।

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