लखनऊ, 30 सितंबर 2020, 13.00 hrs : लखनऊ की सीबीआई अदालत ने बाबरी विध्वंस केस में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं – लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत सभी 32 आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है ।
लखनऊ के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस. के. यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि घटना पूर्वनियोजित नहीं थी । कोर्ट ने कहा कि 6 दिसंबर, 1992 की घटना स्वत: स्फूर्त थी और इसमें साजिश का कोई सबूत नहीं मिला है ।
बाबरी विध्वंस केस में कुल 49 आरोपी थे, लेकिन 17 आरोपियों की सुनवाई के दौरान निधन हो गया । 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरने के बाद फैजाबाद में दो एफआईआर दर्ज कराई गई थी । एफआईआर नंबर 198 लाखों कार सेवकों के खिलाफ थी जबकि एफआईआर नंबर 198 संघ परिवार के कार्यकर्ताओं समेत आडवाणी, जोशी, तत्कालीन शिवसेना नेता बाल ठाकरे, उमा भारती आदि के खिलाफ थी ।
अदालत से बाइज्जत बरी हुए ये 32 आरोपी :
लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने आज, जिन 32 आरोपियों को बरी किया गया, उनमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, महंत नृत्य गोपाल दास, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, रामविलास वेदांती, धरम दास, सतीश प्रधान, चंपत राय, पवन कुमार पांडेय, ब्रज भूषण सिंह, जय भगवान गोयल, महाराज स्वामी साक्षी, रामचंद्र खत्री, अमन नाथ गोयल, संतोष दुबे, प्रकाश शर्मा, जयभान सिंह पवेया, विनय कुमार राय, लल्लू सिंह, ओमप्रकाश पांडेय, कमलेश त्रिपाठी उर्फ सती दुबे, गांधी यादव, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर, रामजी गुप्ता, विजय बहादुर सिंह, नवीन भाई शुक्ला, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कक्कड़ और रविंद्र नाथ श्रीवास्तव शामिल हैं ।
बाबरी विध्वंस केस में दो एफआईआर :
6 दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंस के दिन राम जन्मभूमि पुलिस स्टेशन, अयोध्या में दो एफआईआर दर्ज कराई गई थी । क्राइम नंबर 197/1992 और क्राइम नंबर 198/1992 । इसके अलावा जांच के दौरान 47 और केस दर्ज किए गए थे ।