कोरोना को समझिये : सरकारें अपने स्तर पर कोविड 19 से बचाव के उपाय और जतन कर रही हैं पर कुछ जतन तो हमको-आपको भी तो करना है । क्या आप गम्भीर हैं ?

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रायपुर, 03 सितंबर 2020, 16.20 hrs : कोरोना वायरस अपने चरम पर है। शायद ही कोई बचा हो इस वायरस से । जो भी इस वायरस से संक्रमित हो बचकर निकल जा रहा है, ये मान लीजिये की उसकी इम्यूनिटी बहुत अच्छी है। खानपान और उसका जीवन, रहन-सहन बिलकुल संतुलित और सही है ।

सच पूछें तो अचानक उभरे इस संकट के लिए कोई भी तैयार नहीं था । हमारी स्वास्थ्य सेवाएं भी उस स्तर की नहीं हैं कि हम इस विकट स्थिति से निपट सकें । दरअसल, इस पेंडमिक या महामारी की अभी तक कोई दवा नहीं है। खोज जारी है । बहरहाल सुरक्षा ही सावधानी है।

इससे बचने के लिए हमे कुछ घरेलू उपायों के साथ-साथ अन्य सावधानियां बरतनी है जिसे हम बहुत ही गंभीरता से लेना है। इन सावधानियों के विषय में सरकार हमें लगातार सचेत कर रही है । बीते इन पाँच महिनों में हमें इन सावधानियों के विषय मे बहुत अच्छी और गहरी जानकारी मिल चुकी है पर हम इन्हें अमल करने में कहीं न कहीं ढिलाई कर रहे हैं और अपने परिवारजनों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं ।

सरकार ने बहुत सोच समझ कर हमें लॉक डाउन से छूट दी है पर हम इसका सही तरीके से फायदा नहीं उठा पा रहे हैं । हमें सबसे ज़्यादा बचना है भीड़भाड़ से, जो शायद हम नहीं कर पा रहे हैं । घर से बाहर निकलते ही मास्क का उपयोग करना, थोड़ी-थोड़ी देर में सेनेटाइजर का इस्तेमाल करते रहना है (जो ज़्यादातर दुकानदार और कार्यालय में आपकी सुविधा, सुरक्षा और बचाव के लिए रखा जाता है), बाहर से आते ही जूता-चप्पल बाहर आंगन में ही उतार कर घर में आना और पहले साबुन से कम से कम 20 सेकेंड अच्छे तरीके से हाथ धोना है । ये तो सब जानते ही हैं पर करते कितने हैं ?

अब जब बाजार पूरी तरह खुल गए हैं तो फिर जल्दी काहे की है ? सामान आज नहीं तो कल भी ले सकते हैं । एक दुकान में भीड़ हो तो दूसरे दुकान जा सकते हैं, जहां भीड़ कुछ कम हो । वैसे भी आजकल हर छोटे-बड़े मोहल्लों में सभी ज़रूरत के समान मिल ही जाते हैं । तो बड़े बाजार में भीड़ बढ़ाने के लिए जाने की क्या ज़रूरत है ? उसके अलावा घर पहुंच सुविधा भी मिल रही है ।

सच मानिए यह महामारी बहुत खतरनाक है पर हम कुछ उपायों और अपनी समझ व सावधानी से बच सकते हैं । तो रिस्क क्यों लेना ? लापरवाही से बचें। गलतियां करने से भी बचें। ग़लती हम करते रहें और दोष सरकार पर मढ़ते रहें ऐसा भी न करें। सरकार के साथ साथ हमारी भी कोई जवाबदारी है,उसका निर्वहन करें।
सितंबर माह सर्वाधिक नाजुक माना जा रहा है। कुछ दिन या समझें कि एक-दो महीने और सब्र करें, सम्हले रहें। आपके साथ आपका परिवार भी जुड़ा है । सोचिए, आपके बिना भला वह कैसे रहेगा?
ऐसा माना जा रहा है कि अभी यह परेशानी (कोविड19) एक दो साल तक पीछा नहीं छोड़ेगी, बल्कि यह समझिए कि अभी एक दो महीने तो यह अपने चरम पर रहेगी, फिर धीरे-धीरे इसमें कमी आती जाएगी । साल 2021 बहुत ही सुखद रहेगा, ये विश्वास कीजिये ।

कोरोना वायरस दरअसल फ्लू का ही कुछ बड़ा रूप है । इसकी अभी दवा बनी नहीं है । वैसे यदि ये किसी तरह हमें संक्रमित करता भी है तो तत्काल इससे बचने के लिये विटामिन सी की गोलियां सुबह और शाम एक एक लेनी चाहिए । इसके अलावा अपने डॉक्टर से पूछकर कुछ और दवाएं भी लें ।

कोरोना से बचने के लिए घरेलू उपाय में गर्म पानी दिन में 2-3 बार, अदरक वाली चाय, कम से कम एक बार स्टीम ज़रूर लेते रहें । काढ़ा, 2/3 दिन में एक बार जरूर पिएं । कोरोना आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता । ये मैं कोई नई बात नहीं बता रही हूँ । सभी जानते हैं और ज़्यादातर लोग ये सब लेते भी हैं ।

सबसे ज़्यादा ज़रूरी है कि ख़ुश रहे, घबराएं नहीं, डरें नहीं । । मनोबल बढ़ाये रखें । ये समय भी निकल जायेगा । लोग डर से आत्महत्या जैसा खतरनाक कदम उठा रहे हैं । कुछ नहीं होगा इससे । बस आप, अपने परिवार के साथ, वो ख़ुशी और आंनद नहीं बांट पायेंगे जब हम इस महामारी से निकल जाएंगे । इसलिये, मन कड़ा कीजिये । कुछ अच्छा या बुरा, लम्बे समय तक नहीं रहता ।

जाँच की सुविधा की कमी के कारण पहले पॉज़िटिव मरीज़ कम मिलते थे, पर अब रोज़ 12/13 हज़ार जाँच प्रतिदिन हो रहे हैं इसलिए मरीज़ो की सँख्या भी ज़्यादा मिल रही है । पर जिनकी जांच नहीं हो पाई है वो भी तो ठीक हो रहे हैं । 12/13 हज़ार जांच के बाद 2 हज़ार के करीब पोसिटिव मरीज़ मिलना डरने वाली बात नहीं है । फिर अस्पतालों में इलाज से स्वस्थ होने वालों का प्रतिशत भी कुछ हद तक ठीक ही है । अब तक मिले लगभग 32/33 हज़ार संक्रमितों में मौत का आंकड़ा सिर्फ़ 250/300 के आसपास ही है, जो स्वाभाविक है । इसलिए घबरायें नहीं, बौखलाये नहीं ।

मैंने ऊपर बताया ही है कि “शायद ही कोई बचा है इस वायरस से” । एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 95 प्रतिशत से अधिक लोग संक्रमित हो कर स्वस्थ भी हो चुके हैं । सर्दी-ज़ुखाम, फीवर ही है, यह कोरोना । याद करेंगे तो पता चलेगा कि इन 5/6 महीनों में आपको भी एक दो बार सर्दी-ज़ुखाम, ज़रूर हो चुका है । यही है एक तरह का “कोरोना” । और हम सब बचे हैं अच्छी इम्यूनिटी के कारण ।

(उचित समझें तो इसे अपने रिश्तेदारों और साथियों, परिचितों को भी शेयर करें)

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