रायपुर, 20 अगस्त 2020, 18.45 hrs : राजधानी रायपुर में बने विवादित स्काई वॉक को अब नहीं तोड़ा जाएगा । इसे पूरा करने पर स्काई वॉक समिति में बनी सहमति ।
ज्ञात हो कि बीजेपी शासन में बने स्काई वॉक का विरोध राजनीतिक दलों के अलावा हर ख़ास-ओ-आम कर रहा था । किंतु बीजेपी सरकार ने ज़िद पर अड़ते हुए लगभग 60/65 करोड़ का स्काई वॉक के निर्माण कर ही दिया । 2018 में काँग्रेस सरकार बनने के बाद ये उम्मीद थी कि इसे नेस्तनाबूद कर दिया जाएगा ।
पर स्काई वॉक को तोड़ने का खर्चा ही उसके निर्माण की लागत के करीब ही था । इतने अधिक आर्थिक नुकसान उठाने के बदले अब सरकार ने इसे ना तोड़ने का फैसला लिया । आज एक बैठक में स्काई वॉक समिति ने तय किया है कि स्काई वॉक को यथावत रखा जाए ।
छत्तीसगढ़ में 15 साल तक बीजेपी शासन में विकास कार्य हुए जिनमे से सभी नहीं तो अधिकतर विकास कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए । प्रदेश के अधिकतर पुल लोकार्पण के कुछ दिनों या महीनों में ही धराशायी हो गए । सड़कें जर्जर हैं, ओवर ब्रिज, बड़े बड़े सरकारी भवन निर्माण के कुछ वर्षों में ही दयनीय स्थिति में हैं ।
अम्बिकापुर-बिलासपुर रोड का पुल हुआ धराशायी : अम्बिकापुर-बिलासपुर रोड पर एक बड़े पुल के निर्माण के कुछ समय बाद ही ढह जाने से यहां आवागमन लम्बे समय तक प्रभावित रहा । एक अन्य, सिमगा से बेमेतरा रोड जब बनी तो लोग उत्साहित और प्रसन्न हुए । पर कुछ समय बाद ही इसकी दुर्दशा के भी गवाह हैं यात्री ।
एक्सप्रेस वे : इसी तरह रायपुर के रेलवे स्टेशन से फाफाडीह, पंडरी, शंकरनगर, तेलीबांधा, अमलीडीह, फूंडहर, देवपुरी, होते होकर सदानी दरबार – धमतरी रोड तक बनने वाली 12 किलोमीटर का एक्सप्रेस वे बना । पुल बनते ही काँग्रेस की सरकार आ गई । और नई सरकार को बड़ा झटका तब लगा जब इस लम्बे एक्सप्रेस वे में बड़े-बड़े गड्ढे के साथ एक्सीडेंट होने लगे । एक दम्पत्ति की कार इस एक्सप्रेस वे के गड्ढों से दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें वे गम्भीर हताहत होने से बचे । एक स्कूल की शिक्षिका के ऊपर ब्रिज से बड़ा गर्डर गिर गया और वह महिला आजीवन अपाहिज हो गई ।
एक्सप्रेस वे के निर्माण की जाँच विशेषज्ञों से जाँच करने पर बात सामने आई कि यह ब्रिज निर्माण नियामकों के अनुरूप नहीं बना है और कभी भी धराशायी हो सकता है । करोड़ों रुपये की लागत से बने इस एक्सप्रेस वे को बन्द कर इसे पूरी तरह से धराशायी कर पुनर्निर्माण किया जा रहा है, जिसे बनने में अभी लगभग एक वर्ष और लग सकता है ।
बेदर्दी से जनता के मेहनत की कमाई का दुरूपयोग किया गया है । सोचनीय है कि डेढ़-दो साल में काँग्रेस सरकार, नये विकास कार्य करे या पुरानों पर पैबंद लगाए ।
काँग्रेस के डेढ़ साल के कार्यकाल में रातों रात विकास कार्य की आशा लिए लोग याद करें कि पिछले 6 सालों में केंद्र में क्या और कितने विकास कार्य हुए हैं ? 2018 चुनाव के बाद 2019 में लोकसभा, निगम और पँचायत चुनाव समाप्त नहीं हो पाए कि कोरोना का कहर अभी तक लागू है । ऐसे में विकास कार्य हों या लोगों के स्वास्थ्य पर कार्य किया जाए ?
बीजेपी सरकार के 15 सालों में यदि कार्य नहीं होते तो क्या UPA सरकार से मिले करोडों-करोड़ रुपये सिर्फ़ कमीशन की भेंट ही चढ़ जाते ? अब केंद्र की NDA सरकार प्रदेश को कितना आर्थिक सहयोग कर रही है यह चिंतनीय है ?