कल 5 अगस्त को पूरा भारत देश होगा श्रीराम मय । दिवाली की तरह सजेंगे शहर-गाँव । बहुत जल्द, छत्तीसगढ़ में माता सीता की रसोई और राम-लक्ष्मण की गुफाएं भी संवरेंगी

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छत्तीसगढ़ शासन की योजना में सीतामढी-हरचौका और रामगढ़ भी शामिल

रायपुर, 04अगस्त 2020, 14.20 hrs : छ्त्तीसगढ़ में भगवान राम और लक्ष्मण ने वनवास के दौरान बिताए थे 14 वर्ष । श्रीराम के वनवास काल से संबंधित जिन स्थानों को पर्यटन-तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है, उनमें कोरिया जिले का सीतामढी-हरचौका तथा सरगुजा का रामगढ़ भी शामिल है ।

इनमें से रामगढ़ की प्रसिद्धि विश्व की प्राचीनतम, प्रथम नाट्यशाला “सीता बेंगरा” भी है । महाकवि कालिदास ने अपनी कालजयी कृति “मेघदूतम्” की रचना यहीं पर की थी ।
वनवास के दौरान भगवान राम ने कोरिया जिले से ही छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था । भरतपुर तहसील के जनकपुर में स्थित “सीतामढ़ी-हरचौका” को उनका पहला पडा़व माना जाता है । मवाई नदी के किनारे स्थित सीतामढ़ी-हरचौका की गुफा में 17 कक्ष हैं । इसे सीता की रसोई के नाम से भी जाना जाता है । वहां एक शिलाखंड हैै जिसे लोग भगवान राम का पद-चिन्ह मानते हैं । मवाई नदी तट पर स्थित गुफा को काट कर 17 कक्ष बनाए गए हैं, जिनमें शिवलिंग स्थापित हैं । इसी स्थान को हरचौका (रसोई) के नाम से जाना जाता है ।

भगवान राम हरचौका से रापा नदी के तट पर स्थित सीतामढ़ी-घाघरा पहुंचे थे । यहां करीब 20 फीट ऊपर 4 कक्षों वाली गुफा है, जिसके बीच में शिवलिंग स्थापित है । आगे की यात्रा में वे घाघरा से निकलकर कोटाडोला होते हुए सरगुजा जिले की रामगढ़ पहाड़ी पहुंचे थे । यह अम्बिकापुर- बिलासपुर मार्ग पर स्थित है । इसे रामगिरि भी कहा जाता है । महाकवि कालिदास के “मेघदूतम्” में इसी स्थान के दृश्यों का अंकन हुआ है ।

वनवास के दौरान श्रीराम ने पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहां कुछ दिन बिताये थे । इसीलिए वहां स्थित गुफाएं लोक में उन्हीं के नाम से जानी जाती हैं । राम के तापस्वी वेश के कारण एक का नाम “जोगीमारा”, दूसरे का “सीता बेंगरा” एवं एक अन्य का लक्ष्मण गुफा” पड़ गया ।

भगवान राम के वनवास काल से संबंधित स्थानों का पर्यटन-तीर्थ के रूप में विकास मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी परियोजना है । इसके लिए राम वन गमन परिपथ तैयार किया जा रहा है । शासन ने राम से संबंधित 75 स्थानों का चयन किया है । पहले चरण में इनमें से 9 स्थानों का सौंदर्यीकरण एवं विकास किया जा रहा है । इसके लिए 137 करोड़ 45 लाख रुपये की कार्ययोजना तैयार की गई है । इस परिपथ में अच्छी सड़कों समेत विभिन्न तरह की नागरिक सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी ।

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