नई दिल्ली, 16 मई 2020, 10.35 hrs : लॉक डाउन में सरकार पर उठ रहे सवाल । सरकार की कथनी और करनी में दिख रहा फ़र्क़ । सरकार ने लगातार निजी विद्यालयों को नसीहत देते रहे कि लॉक डाउन के दौरान स्कूल फीस वसूली के लिए पलकों पर दबाव ना बनाएं ।
जब सरकारी स्कूल खुद नोटिस जारी कर लॉक डाउन के दौरान की फीस वसूली के लिए दबाव बना रहा हो तो फिर शिकायत किससे करें ? या फिर सरकार की मंशा यह है कि सिर्फ प्राइवेट स्कूलों को ही फीस नहीं लेने के लिए बताया जाए और खुद वसूली की जाए ।
केंद्रीय विद्यालय संगठन ने 13 मई 2020 को आदेश जारी कर विद्यार्थियों की फीस जमा करने को कहा है की फीस ऑनलाइन जमा होगी । 22 मई से फीस जमा करना शुरू होगा और 21 जून तक जमा करा सकेंगे ।
यह फीस पहले क्वार्टर अर्थात अप्रैल-मई-जून की है जिसे बिना लेट हुए पलकों को फीस जमा करनी है । समय पर नहीं जमा करने पर लेट फीस भी लगेगी ।
इस आदेश के बाद प्राइवेट स्कूल के संचालकों को फीस वसूलने के लिए बल मिलेगा क्योंकि अगर सरकार द्वारा संचालित स्कूल फीस वसूलने के लिए दबाव बना रहे हैं तो प्राइवेट स्कूलों को मना कैसे किया जा सकता है ।
देशभर में इस बात की मांग उठती रही है कि लॉक डाउन के दौरान बच्चों की फीस माफ की जाए लेकिन इस आदेश के बाद यह निश्चित हो गया है कि सरकार फीस माफ करने की ओर कोई कदम बढ़ाने नहीं जा रही है ।
इसके पहले 29 मार्च 2020 को केंद्रीय गृह मंत्रालय का एक सर्कुलर आया था जिसमें प्राइवेट संस्थाओं को उनके कर्मचारियों की तनख्वाह नहीं काटने कहा गया था । उसके कुछ ही दिन बाद सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के डीए रोकने के आदेश जारी कर दिए जिसके बाद सरकार की जमकर किरकिरी हुई ।
फ़िर प्राइवेट संस्थाओं के मालिक सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ गए और आज ही सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश को निरस्त कर दिया और यह कह दिया कि निजी संस्थाओं पर वेतन देने के लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता है । किसी भी संस्था के ऊपर वेतन नहीं देने के कारण कोई कानूनी कार्यवाही ना की जाए ।