मजबूर लोगों को सहयोग के नाम पर, ऐसे संकट के समय में भी क्या निज-प्रचार ?

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रायपुर, 2 अप्रैल 2020, 14.45 hrs : कोरोना वायरस से देश दुनिया जूझ रहे हैं । ऐसे संकट में अमीर-गरीब, छोटे-बड़े, नौकरी पेशा, व्यवसायी, उद्योगपति, गृहणियाँ, बच्चे सभी के सामने भविष्य की चिंता होना लाज़मी है ।

सबसे ज़्यादा संकट में हैं गरीब मजदूर, रोज़ कमाने खाने वाले लोग । इनके परिवार में एक समय की रोटी के लाले पड़ रहे हैं । प्रधानमंत्री और सभी मुख्यमंत्री अपने प्रदेश की भूख मिटाने के सारे प्रयास कर रहे हैं कि कोई भूखा ना रह जाये ।

ऐसे समय में भी क्या निज-प्रचार करना उचित है ? खाने के पैकेट में, सामग्री के डब्बों में प्रधानमंत्री की फ़ोटो क्या साबित करने की लिए छापी गई है ?

हद तो तब हुई जब रोटियों पर मोदी जी का नाम लिखा हुआ है । अब कुछ लोग तर्क-कुतर्क में लगे हैं । पर यह है तो, संकट में मजबूरी का फायदा उठाने वाली बात ।

दान तो गुप्त रखा जाए तभी फलीभूत होता है । पर यह घिनौना निज-प्रचार या प्रदर्शन कितना उचित है ?

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