सुप्रीम कोर्ट – 16 बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में शामिल हों या नहीं, लेकिन उन्हें बंधक नहीं रखा जा सकता

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* शिवराज सिंह चौहान समेत 10 भाजपा विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है ।

* सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस की दलील- जिस दिन मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत हुई, तभी विश्वास मत हासिल हो गया था ।

* राज्यपाल ने 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था, स्पीकर ने कोरोनावायरस का हवाला देकर 26 मार्च तक सदन की कार्यवाही स्थगित की ।

* भाजपा ने जल्द फ्लोर टेस्ट कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी, राज्यपाल के सामने 106 विधायकों की परेड भी कराई ।

नई दिल्ली, 17 मार्च 2020, 16.00 hrs : मध्य प्रदेश में विधानसभा में भाजपा की ओर से फ्लोर टेस्ट की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। बुधवार को लंच ब्रेक से पहले कांग्रेस, भाजपा और राज्यपाल की ओर से दलीलें पेश की गईं। कांग्रेस ने कहा कि 19 बागी विधायकों के इस्तीफे सौंपने के पीछे भाजपा की साजिश है । इसकी जांच होनी चाहिए। बहुमत परीक्षण के लिए रातोंरात मुख्यमंत्री और स्पीकर को आदेश देना राज्यपाल का काम नहीं है । स्पीकर इस मामले में सबसे ऊपर हैं, राज्यपाल उन पर हावी हो रहे हैं । कांग्रेस ने विधायकों के इस्तीफे से खाली हुई सीटों पर उपचुनाव होने तक फ्लोर टेस्ट नहीं कराने की मांग की । भाजपा ने इसका विरोध किया । कोर्ट ने कहा कि 16 बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में शामिल हों या नहीं, लेकिन उन्हें बंधक नहीं रखा जा सकता। उन्हें फैसले लेनी की आजादी हो ।

कमलनाथ सरकार के बहुमत परीक्षण नहीं कराने के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और 9 भाजपा विधायकों ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है । वहीं, दूसरी याचिका कांग्रेस विधायकों की है, इसमें बेंगलुरु में ठहरे 22 बागी विधायकों को वापस लाने का निर्देश देने की मांग की गई है । जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच में कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे, भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी, राज्यपाल के वकील तुषार मेहता, स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने पैरवी की ।

कोर्ट रूम में जिरह…
दवे ने कहा- प्रदेश की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताया था। चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनी कांग्रेस ने उसी दिन विश्वास मत हासिल कर लिया था । बहुमत के साथ 18 महीने सरकार चलाई । भाजपा बलपूर्वक सरकार को अस्थिर कर लोकतंत्र मूल्यों को खत्म करना चाहती है । उसने 16 विधायकों को अवैध हिरासत में रखा है । इस पर बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने कहा- ये झूठ है, कोई हिरासत में नहीं है ।

दवे ने कहा- हमारे विधायकों से जबरन इस्तीफे लिखवाए गए । होली के दिन भाजपा नेताओं ने जाकर 19 बागी विधायकों के इस्तीफे स्पीकर को सौंप दिए थे। ये बड़ी साजिश है। इसकी जांच जरूरी है । बागी विधायकों को चार्टर्ड विमानों से बाहर ले जाकर भाजपा नेताओं द्वारा बुक किए रिजॉर्ट में रखा गया है । फ्लोर टेस्ट कराने का निर्णय लेने में स्पीकर सबसे ऊपर हैं । राज्यपाल उन पर हावी हो रहे हैं । रातोंरात मुख्यमंत्री और स्पीकर को फ्लोर टेस्ट का आदेश देना राज्यपाल का काम नहीं है ।

दवे की दलील- राज्यपाल को फ्लोर टेस्ट का आदेश नहीं देना चाहिए था। जो विधायक इस्तीफा दे रहे हैं, चुनाव में जनता के बीच जाएं। इस पर जस्टिस गुप्ता ने कहा- वही तो कर रहे हैं। उन्होंने सदस्यता छोड़ दी और फिर से मतदाताओं के पास जाना चाहते हैं । दवे ने कहा- खाली हुई सीटों पर उपचुनाव होने तक फ्लोर टेस्ट को टाल दिया जाए । अभी कोई आसमान नहीं गिर पड़ा है कि कमलनाथ सरकार को तुरंत हटाकर शिवराज सिंह को गद्दी पर बैठा दिया जाए। कोर्ट को बाद में विस्तार से मामला सुनना चाहिए ।

भाजपा के वकील रोहतगी ने इस पर विरोध जताते हुए कहा- हम अभी कोर्ट से कोई अंतरिम आदेश चाहते हैं । कांग्रेस 1975 में सत्ता के लिए देश पर इमरजेंसी थोपने वाली पार्टी है । किसी भी तरह सत्ता में बने रहना चाहती है । सत्ता के लिए अजीब दलीलें दी जा रही हैं । जिसके पास बहुमत नहीं है, वह एक दिन सत्ता में नहीं रह सकता । यहां पहले खाली सीटों पर चुनाव की दलील देकर 6 महीने का प्रबंध करने की योजना हैब। चुनाव करवाना चुनाव आयोग का काम है। यहां इस पर विचार नहीं हो रहा, फ्लोर टेस्ट पर हो रहा है ।

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने से पहले स्पीकर का संतुष्ट होना जरूरी है । वहीं, स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जवाब दाखिल करने के लिए वक्त मांगा । राज्यपाल की ओर से मेहता ने कहा- 6 लोग मंत्री थे । जब राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार किया, इसके बाद स्पीकर ने विधानसभा से उनका इस्तीफा मंजूर किया था ।

लंच ब्रेक के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम कैसे तय करें कि विधायकों के हलफनामे मर्जी से दिए गए या नहीं ? यह संवैधानिक कोर्ट है। हम संविधान के दायरे में कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। टीवी पर कुछ देखकर तय नहीं कर सकते । 16 बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में शामिल हों या नहीं, लेकिन उन्हें बंधक नहीं रखा जा सकता । अब साफ हो चुका है कि वे कोई एक रास्ता चुनेंगे। उन्होंने जो किया उसके लिए स्वतंत्र प्रक्रिया होनी चाहिए । इसके साथ ही अदालत ने वकीलों से सलाह मांगी कि कैसे विधानसभा में बेरोकटोक आने-जाने और किसी एक का चयन सुनिश्चित हो ।
रोहतगी ने कहा- हम 16 बागी विधायकों को जज के चैम्बर में पेश कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा- इसकी जरूरत नहीं है । रोहतगी ने कहा- आप विकल्प के तौर पर कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को गुरुवार को विधायकों के पास भेजकर वीडियो रिकॉर्डिंग करा सकते हैं । कांग्रेस चाहती है कि विधायक भोपाल आएं ताकि उन्हें प्रभावित कर खरीद-फरोख्त की जा सके । विधायक उनसे मिलना ही नहीं चाहते तो कांग्रेस क्यों इस पर जोर दे रही है ।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- दूसरे पक्ष को भी सुनेंगे
मंगलवार की सुनवाई में मध्य प्रदेश सरकार और कांग्रेस के पक्षकार मौजूद नहीं थे । तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम दूसरे पक्ष को भी सुनेंगे । इसके बाद अदालत ने सभी पक्षकारों राज्यपाल लालजी टंडन, मुख्यमंत्री कमलनाथ और विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति को नोटिस देकर 24 घंटे में जवाब मांगा था । नोटिस ईमेल और वॉट्सऐप के जरिए नोटिस भेजे गए । इसके साथ ही ईमेल पर बागी विधायकों की अर्जी और याचिका की कॉपी भी पक्षकारों को भेजी गई । भाजपा की तरफ से पैरवी करने पहुंचे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि कांग्रेस के 22 विधायक पार्टी छोड़कर चले गए, उनके पास बहुमत नहीं है, इसलिए उनकी तरफ से कोई सुनवाई में नहीं आया ।

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