दिल्ली के जामिया नगर में बस में आगजनी और तोड़फोड़, नागरिक कानून का विरोध, क्या हो रहा है लोकतांत्रिक देश भारत में ? कौन जला रहा है दिल्ली को ?

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आज देश के दिल, दिल्ली में फ़िर दंगे करवाये जा रहे हैं । नागरिक कानून के विरोध में दिल्ली को जलाया जा रहा है । क्या एक बार फिर “गोधरा” दोहराया जाएगा ?

बताया जा रहा है कि नागरिक संशोधन बिल के विरोध में दिल्ली के जामिया नगर में कुछ लोगों ने तीन बसों को आग के हवाले कर दिया गया । जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों का प्रदर्शन आज भी जारी है । तीसरे दिन प्रदर्शन और बड़ा हो गया है । छात्रों ने आज जामिया से विरोध मार्च निकाला जो कि हिंसक हो गया । उन बसों में सवारियां थीं । कौन करवा रहा है ये दंगे ? क्या सच में ये वारदात एक वर्ग विशेष के लोग कर रहे हैं ? जामिये यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में तोड़फोड़ हुई है । यूनिवर्सिटी के लोगों को हिरासत में लिया गया है ।

दोपहिया वाहनों से पेट्रोल निकाल कर बसों में आग लगा दी गई । और आग लगाने वाले ग़ायब हो गए । पुलिस मौके पर पहुंची । जामिये यूनिवर्सिटी में घुस कर छात्र-छात्राओं को बाहर निकाला । बाहर निकलने वाले छात्रों को हाथ उठा कर निकाला गया ।

कुछ अज्ञात लोगों ने फायरब्रिगेड की गाड़ियों पर भी हमला किया । फायरब्रिगेड के कुछ कर्मचारी और पुलिस जवान भी घायल हुए ।

अपनी बात, बहुत ही सीधे और सरल तरीके से कह रही हूँ ! ये सब क्या और क्यों हो रहा है ? आम चुनाव के 3 साल पहले ‘नोटबन्दी’ और ‘GST’ लागू की गई । पता है कि जनता की स्मरण शक्ति बहुत छोटी होती है । वर्ष 2019 के आम चुनावों की तरह, सब भूल जायेंगे और एक बड़ा समुदाय समर्थन कर देगा ! बहुमत है तो  मनमर्ज़ी चल रही है । पता है कि लोग सिर्फ़ सर धुनते रह जायेंगे ।

समझने वाली बात है कि राजशाही परंपरा में, सत्ता पाने के लिए अपने रिश्तेदारों या करीबियों को समाप्त कर दिया जाता था । हमारे भारत मे सामंतवाद को समाप्त किया गया ताकि आमजन पीड़ित ना हों । पर अब लगने लगा है कि वो तानाशाही परम्परा फ़िर वापस लाने का सिलसिला शुरू हो गया है । वर्ण व्यवस्था फ़िर शुरू करने की तैयारी है ।

अब ये जनता के ऊपर है कि वो किसी ज़िंदगी ख़ुद अपने लिए और अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए चाहती है । जाती और वर्ग-विच्छेद करके ही जीना क्या उचित होगा ?
बहुत से सवाल उठेंगे, मन को कुरेदेंगे ।

सोचिये, समझिये …

अब अगले वर्ष, 2020 के शुरुआत में दिल्ली और कुछ प्रदेशों में चुनाव हैं । माना जा रहा है कि यह दंगे उसी लिए प्रायोजित हैं । अभी तक तो दिल्ली में चुनाव का रुख़, “आप” की तरफ़ स्पष्ट दिख रहा था, पर इन प्रायोजित दंगों का असर कहीं फ़िर चुनावों में ना पड़े ।

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