महाराष्ट्र में बना सरकार गठन फॉर्मूला, उद्धव सीएम, NCP-कांग्रेस के डिप्‍टी CM ! 

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नई दिल्ली –  महाराष्ट्र सरकार बनाने को लेकर अब कुछ कुछ साफ  होता जा है । वैसे कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी  से सोमवार शरद पवार ने  मुलाकात के बाद कहा कि सरकार बनाने को लेकर उनकी कोई बातचीत नहीं हुई है । किन्तु  सूत्रों के अनुसार तीन पार्टियों के गठबंधन को लेकर बातचीत साफ हुई  है और नई सरकार दिसंबर की शुरुआत तक अपना काम संभाल लेगी ।  इसमें  शिवसेना  प्रमुख उद्धव ठाकरे  मुख्यमंत्री  होंगे और कांग्रेस-एनसीपी के दो डिप्टी सीएम रहेंगे ।

यह भी तय है कि इस बात पर भी कोई दो राय नहीं है कि उद्धव ही पूरे पांच साल के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहेंगे और इस दौरान कोई भी रोटेशनल पॉलिसी नहीं होगी ।

एक खबर निकल कर आ रही है कि 42 मंत्रीपद भी पार्टियों की सीटों के हिसाब से ही तय होंगे । शिवसेना ने 56 सीटें जीती हैं, वहीं एनसीपी 54 और कांग्रेस 44 सीटें जीती हैं । इस हिसाब से मंत्रीपद भी 15, 14 और 13 के अनुपात तय करने की संभावना है ।

स्पीकर के पद के लिए शिवसेना ने, फैसला कांग्रेस और एनसीपी पर छोड़ दिया है । वैसे इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का नाम सामने आ रहा है ।

ये बात चल पड़ी है कि महाराष्ट्र सरकार का नया नक्शा, एनसीपी चीफ शरद पवार का ही डिजाइन किया हुआ है । महाराष्ट्र में गैर बीजेपी सरकार बनाने के लिए वे पूरी तरह से तैयार हैं, लेकिन उन्होंने मीडिया के सामने इस संबंध में कुछ नहीं कहा हैं, उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि सोनिया गांधी के साथ उनकी केवल महाराष्ट्र की राजनीतिक परिस्थिति को लेकर बातचीत हुई है, हम अभी सारी स्‍थिति देख रहे हैं और उसी के हिसाब से आगे की कार्रवाई करेंगे ।

सूत्रों के अनुसार नई सरकार निर्माण को लेकर विस्तार से चर्चा करने, उद्धव भी जल्द ही दिल्ली आ सकते हैं । वहीं उद्धव ठाकरे ने संभावित गठबंधन को देखते हुए, 24 नवंबर की अपनी अयोध्या यात्रा को स्‍थगित कर दिया है, क्योंकि ऐसा कर वे कोई गलत संदेश कांग्रेस या एनसीपी को नहीं देना चाहते हैं ।

सबसे अहम बात यह है कि आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की बात पर वरिष्ठ नेताओं के बीच सहमति नहीं बनी है । उनके अनुसार आदित्य अभी सीएम बनने के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं हैं । सरकार बनने की स्थिति में उद्धव को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा । इसके पीछे एक कारण यह भी है कि आदित्य अभी काफी युवा हैं और छगन भुजबल और अजीत पवार जैसे वरिष्ठ नेताओं के साथ उनका तालमेल मुश्किल हो सकता है ।

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