2000 नवम्बर में, छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद का रायपुर को बदलने में आरपी मण्डल का बड़ा हाथ है ।
2004 में मण्डल रायपुर कलेक्टर बने और उन्होंने प्रदेश की राजधानी रायपुर में विकसित “तेलीबांधा तालाब” और “केनाल रोड” जैसी कई चमचमाती सड़कें बनाकर राजधानी का नक्शा बदला दिया ।
रायपुर, 31 अक्टूबर 2019। आरपी मंडल ने 31 अक्टूबर की शाम, मुख्य सचिव का चार्ज संभाल लिया। जुनूनी अफसर के तौर पर प्रसिद्ध मण्डल चाहे कलेक्टर रहे हों या मंत्रालय में सचिव, कुछ नया करने के उनके जुनून ने उस क्षेत्र की तस्वीर बदल दी ।
छत्तीसगढ़ बनने के बाद रायपुर, राजधानी बनने 4/5 साल बाद भी राजधानी के तौर पर अपनी पहचान नही बना पा रहा था । 2004 में रायपुर का कलेक्टर बनने के बाद मंडल ने सबसे पहले स्टेशन रोड का चौड़ीकरण करवाया । 2006 के बाद रायपुर आए लोगों को तो पता ही नहीं है कि राजधानी बनने के बाद स्टेशन रोड कितना सकरा था । मंडल ने रोड को सिक्स लेन किया ही, कचहरी चौक पर अव्यवस्थित ट्रैफिक पर लगाम लगाने जेल के बगल से बाईपास सड़क निकाल दिया ।
मंडल के कलेक्टर बनने के बाद कलेक्टर कार्यालय में साफ-सफाई करवाकर बड़ा गार्डन बनवाया के अलावा कलेक्ट्रेट बिल्डिंग का नक्शा भी बदल दिया ।
रायपुर आने वाले लोग अगर यहां के डेवलपमेंट को देखकर चमत्कृत होते हैं, तो उसके पीछे सिर्फ और सिर्फ आरपी मंडल की भूमिका है ।
तेलीबांधा तालाब पहले गंदगी और बजबजाता हुआ, बदबूदार तालाब हुआ करता था । तालाब के बगल से गुजरने पर नाक पर रुमाल रखना पड़ता था । इस पुरातात्विक तालाब को नया स्वरूप दिया है आरपी मण्डल ने । यही तेलीबांधा तालाब, अब राजधानी का सबसे बड़ा चौपाटी बन गया है ।
केनाल रोड की कल्पना भी मण्डल की ही है । नगरीय प्रशासन सचिव बनने के बाद मंडल ने तेलीबांधा तालाब का स्वरूप निखारने के बाद दूसरा बड़ा काम किया, लम्बे नहर को केनाल रोड बनाने का । इस कैनाल रोड ने, सिविल लाइन्स एवं आसपास के बड़े क्षेत्र की ट्रैफिक समस्या से निजात दिलाया है ।
साइंस कॉलेज के पीछे, रोहनीपुरम और डीडी नगर इलाके का बदला स्वरूप भी मण्डल की ही देन है । अब तो यहाँ काफी विकास हो गया है । पहले इस ओर जाने वाली सड़क बदहाल थी । मंडल ने इंजीनियरिंग कालेज के सामने से, गोल चौक से होते हुए, रिंग रोड तक फोर लेन रोड निकाल दिया । मंडल, रायपुर में, बड़ौदा से भी खूबसुरत और सुविधायुक्त हाईटेक बस स्टैंड बनाना चाहते थे और इसके लिए जमीन की कमी पड़ रही थी । इंटरस्टेट बस स्टैंड के पास सरकारी जमीन कम थी । पास में ही शिवरीनारायण मठ की जमीन खाली पड़ी हुई थी । उस समय भाजपा सरकार थी और मठ के प्रमुख महंत रामसुंदर दास कांग्रेस के विधायक थे । मंडल ने महंत रामसुंदर दस को, बड़ी कोशिशों के बाद, 22 एकड़ जमीन दान करने के लिए मना ही लिया। तब जाकर बस स्टैंड आकार ले पाया।
विधानसभा रोड का फोरलेन मंडल के पीडब्लूडी सिकरेट्री रहने के दौरान हुआ । रायपुर एयरपोर्ट की सड़क सिंगल लेन थी। मंडल ने धरमपुर होकर एयरपोर्ट के लिए बाईपास सड़क निकाली । वीआईपी चौक से एयरपोर्ट तक सिक्स लेन रोड की प्लानिंग भी उन्होंने ही की थी । इस सड़क का 50 परसेंट काम हो गया था कि मंडल का नगरीय प्रशासन से ट्रांसफर हो गया । मंडल ने न केवल सड़कों का चौड़ीकरण कर आवागमन को सुगम बनाया बल्कि उन सड़कों का सौंदर्यीकरण भी कराया।
मंडल को ट्राईबल सिकरेट्री बनाया गया तो वहां उन्होंने आदिवासी बच्चों के लिए “प्रयास” संस्था खोलकर, सौ से अधिक आदिवासी बच्चों को जेईई और आईआईटी में सलेक्ट करा दिया । सरकार ने लेबर में भेजा तो उन्होंने श्रमिकों और गरीबों के लिए पांच रुपए में सस्ता खाना योजना शुरू कर दी । यही नहीं, वे खुद इन योजनाओं को मानिटरिंग करते थे ।
रायपुर में हवाई अड्डा और दूरदर्शन केंद्र होने के बावजूद विकास की गति चींटी के समान थी । पर अब रायपुर कोसुनियोजित रूप से बदलने का काम आरपी मंडल ने किया ।
मंडल बिलासपुर में कलेक्टर थे तो वहां भी उन्होंने शहर को बदल दिया था । बिलासपुर की अरपा नदी पर पानी रोकने के लिए उन्होंने बड़ा काम किया । तब सरकार के पास एनीकेट बनाने के लिए पैसे नहीं थे । मंडल ने वहां एक अद्भूत आंदोलन की शुरूआत की । जनसहयोग से उन्होंने रेत की बोरियों से पानी को रोक दिया । इस काम को देखकर तत्कालीन वित्त मंत्री रामचंद्र सिंहदेव को एनीकेट के लिए राशि स्वीकृत करनी पड़ी थी ।
अब लोगों को इंतजार रहेगा कि छत्तीसगढ़ को, विकास के नए आयाम देकर, मण्डल प्रदेश को कहाँ ले जाएँगे ताकि छत्तीसगढ़ के माथे से “पिछड़ा प्रदेश” का कलंक मिट सके ।
मण्डल को मुख्य सचिव बनाने के लिये मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बड़ी सोच स्पष्ट दिखती है ।