रायपुर, 06 नवम्बर 2021, 20.45 hrs : रिपोर्ट आयोग के सचिव एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) संतोष कुमार तिवारी ने राज्यपाल अनुसुईया उइके को झीरम घाटी जांच आयोग की रिपोर्ट सौंपी ।
यह प्रतिवेदन 10 वाल्यूम और 4184 पेज में तैयार की गई है । कांग्रेस पार्टी ने जाँच आयोग की रिपोर्ट सीधे राजयपाल को सौंपे जाने का विरोध किया है ।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में गठित था आयोग । प्रशांत मिश्रा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भी थे तथा वर्तमान में आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं ।
झीरम घाटी की घटना 25 मई 2013 को हुई थी । घटना की जांच के लिए आयोग का गठन 28 मई 2013 को किया गया था । लगभग 8 साल बाद इस घटना की जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी गई है ।
बस्तर के झीरम घाटी में नक्सलियों ने तत्कालीन कांग्रेस विधायक नंदकुमार पटेल के काफिले पर हमला किया था जिसमें नंदकुमार पटेल, महेन्द्र कर्मा सहित कई अन्य लोग शहीद हो गए थे । इस घटना में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल भी गंभीर रूप से घायल हुए थे, जिनका बाद में इलाज के दौरान निधन हो गया था ।
झीरम नरसंहार के लिए गठित न्यायिक आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंप कर तय एवं मान्य प्रक्रिया का उल्लंघन करने का आरोप कांग्रेस पार्टी ने लगाया है । प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सामान्यतय: जब भी किसी न्यायिक आयोग का गठन किया जाता है तो आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपती है । झीरम नरसंहार के लिए गठित जस्टिस प्रशांत मिश्र आयोग की ओर से रिपोर्ट सरकार के बदले राज्यपाल को सौंपना ठीक संदेश नहीं है ।
जब आयोग का गठन किया गया था तब इसका कार्यकाल 3 महीने का था तीन महीने के लिए गठित आयोग को जांच में 8 साल कैसे लग गया ? आयोग ने हाल ही में यह कहते हुए सरकार से कार्यकाल बढाने की मांग की थी कि जांच रिपोर्ट रिपोर्ट तैयार नही है इसमें समय लगेगा । जब रिपोर्ट तैयार नही थी आयोग इसके लिए समय मांग रहा था फिर अचानक रिपोर्ट कैसे जमा हो गयी ? यह भी शोध का विषय है । सुशील आंनद शुक्ला ने पूछा है कि ऐसा क्या है जो सरकार से छुपाने की कोशिश की जा रही है ?