दीदी की ‘ममता’, सोनिया गांधी से घर जाकर की मुलाकात… राहुल गांधी भी थे मौजूद…

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नई दिल्ली, 28 जुलाई 2021, 18.10 hrs : पश्चिम बंगाल में लगातार तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीतकर सीएम बनने वालीं ममता बनर्जी बुधवार शाम को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने पहुंचीं । ममता बनर्जी की सोनिया गांधी संग मुलाकात के दौरान कांग्रेस के लीडर राहुल गांधी भी मौजूद थे ।

इसी साल अप्रैल-मई में बंगाल में हुए चुनावों के बाद ममता का यह पहला दिल्ली दौरा था । इस दौरान ममता बनर्जी ने शरद पवार, आनंद शर्मा समेत विपक्षी दलों के कई नेताओं से मुलाकात की है । उनकी इन मुलाकातों को 2024 के आम चुनावों में खुद को प्रोजेक्ट करने और विपक्ष को एकजुट करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है ।

सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद ममता बनर्जी ने कहा कि सोनिया गांधी ने मुझे चाय पर बुलाया था । इस दौरान हमने कई मुद्दों पर चर्चा की। ममता बनर्जी ने कहा, ‘हमने राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा की । इसके अलावा पेगासस जासूसी कांड और कोरोना संक्रमण से पैदा हुए हालातों को लेकर भी चर्चा की ।’ 2024 के आम चुनावों को लेकर चर्चा के सवाल पर ममता बनर्जी ने कहा कि मीटिंग के दौरान हमारी चर्चा विपक्ष की एकता को लेकर हुई । ममता ने कहा कि यह एक बहुत अच्छी और सकारात्मक मुलाकात थी ।

इससे पहले मीडिया से बात करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि सोनिया गांधी भी विपक्ष की एकजुटता के पक्ष में हैं । उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी क्षेत्रीय दलों पर भरोसा करती है और छोटी पार्टियों को भी उस पर यकीन है । यही नहीं ममता बनर्जी ने बीजेपी को मजबूत पार्टी करार देते हुए कहा कि उससे लड़ाई के लिए विपक्ष को भी मजबूत बनना होगा । तभी इतिहास बनेगा। 2024 के आम चुनावों के लिए हमारी यही उम्मीद है । ममता बनर्जी ने केंद्र की राजनीति में बदलाव की उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि पॉलिटिक्स में चेंज होता रहता है । जब राजनीतिक तूफान आता है तो फिर स्थितियों को संभालना कठिन होता है ।

ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि गैर भाजपाई मुख्यमंत्रियों के साथ उनके रिश्ते काफी अच्छे हैं । उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर उद्धव ठाकरे और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन इन सभी से उनके रिश्ते अच्छे हैं । अगर एक राजनीतिक आंधी आई तो आप उसे रोक नहीं पाएंगे। अगर विपक्षी पार्टियां गंभीर हो जाएं तो छह महीने में नतीजे सामने आ जाएंगे ।’

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