छत्तीसगढ़ भी नहीं बचा फोन टैप मामले से… प्रदेश के सात फोन थे पेगासस निगरानी में… सभी हैं आदिवासी इलाकों में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता …

Spread the love

रायपुर 23 जुलाई, 2021, 18.45 hrs :  फोन  हैक मामले में ईजराइली सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए छत्तीसगढ़ में भी फोन हैक किये गए हैं ।

जिन लोगों की जासूसी की गई उनमें छत्तीसगढ़ के सात सामाजिक तथा मानवाधिकार कार्यकर्ता भी शामिल बताये गये हैं । ये सभी आदिवासी इलाकों में जल, जंगल और जमीन के मुद्दे पर सड़क से लेकर अदालत तक लड़ाई लड़ते आ रहे हैं । इनसे सरकारों को अक्सर परेशानी भी होती है ।

इनमें आलोक शुक्ला, सोनी सोरी, लिंगाराम कोडोपी, डिग्री प्रसाद चौहान, शुभ्रांशु चौधरी, बेला भाटिया तथा शालिनी गेरा के नाम हैं ।

आलोक शुक्ला छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक हैं जो काफी दिनों से हसदेव क्षेत्र में संचालित व प्रस्तावित कोयला खनन परियोजनाओं के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं । लेमरू हाथी रिजर्व क्षेत्र को घटाने के विरोध में भी वे सरगुजा और कोरबा क्षेत्र के आदिवासी संगठनों के साथ काम कर रहे हैं । सोनी सोरी बस्तर की राजनैतिक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो पुलिस दमन के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं । लिंगा राम कोडोपी उसके भतीजे है, जो उनके साथ ही काम करते हैं । डिग्री प्रसाद चौहान पीयूसीएल से जुड़े हैं और इनका ज्यादातर काम आदिवासियों की जमीन की फर्जी खरीद फरोख्त के विरुद्ध अदालतों में लड़ाई लड़ते रहना है । पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी नक्सली इलाकों में शांति मार्च निकाल चुके हैं । दूरस्थ इलाकों के लोगों की समस्याओं को सामने लाने के लिए काम करते हैं । शालिनी गेरा और बेला भाटिया मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता हैं । छत्तीसगढ़ के आदिवासियों से जुड़े अनेक मामलों को वे शीर्ष अदालतों तक ले गई हैं ।

जो जानकारी लेनी हो लें, तरीका कानूनी हो-शुभ्रांशु : पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी ने बताया कि उन्हें कभी फोन के जरिए जासूसी होने का आभास नहीं हुआ । सन 2019 में एक बार व्हाट्सएप की ओर से जरूर सूचना दी गई थी कि मेरा फोन हैक करने की कोशिश की गई है । मैंने फोन नंबर कभी नहीं बदला, क्योंकि यह 20-25 साल से लोगों के पास है । पर वे हैंडसेट जरूर बदल लेते हैं । उन्होंने कहा कि हैकिंग न तो पहली बार हो रही है, न ही आखिरी बार, बस हमें सतर्क रहने के लिए दो कदम आगे रहना होता है । इसकी ट्रेनिंग उन्होंने ली है और अपने सहयोगियों को भी दी है । वैसे हम आदिवासियों और सरकार दोनों से शांति का आग्रह करने का काम ही कर रहे हैं, छुपकर कुछ नहीं कर रहे हैं । हमारी बस ये ही गुजारिश है कि सरकार को जो भी करना है, वह उसे कानूनी तरीके से करे ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *